नई दिल्ली, 13 नवंबर। भारत में रक्त चंदन की बागवानी करने वाले किसानों के हित में हुए एक महत्वपूर्ण घटना क्रम के तहत भारत से रक्त चंदन के अंतरराष्ट्रीय कारोबार को एक वैश्विक निकायक की जटिल निगरानी प्रक्रिया से छूट मिल गयी है।

भारत में दुर्लभ जंगली रक्त चंदन की तस्करी रोकने के कड़े प्रबंध के परिणाम स्वरूप भारत को दुर्लभ वन्य जीवों और वनस्पतियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर अंकुश लगाने वाली वैश्विक समिति की कड़ी निगरानी व्यवस्था से छुटकारा मिला है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि अनुपालन और रिपोर्टिंग के आधार पर भारत को रक्‍त चंदन की महत्वपूर्ण व्यापार प्रक्रिया की समीक्षा से हटा दिया गया है।

उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर कहा, ‘वन्‍य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन की स्थायी समिति (सीआईटीईएस) की अभी हाल ही में संपन्न हुई बैठक भारत के वन्यजीव और इकोसिस्‍टम संरक्षण के प्रयासों के लिए एक बड़ा प्रोत्‍साहन साबित हुई है।’

मंत्रालय की सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत के रक्‍त चंदन (टेरोकार्पस सैंटालिनस) को आरएसटी प्रक्रिया से बिना किसी शर्त के हटाया गया है। समिति की 77वीं बैठक 6 से 10 नवंबर तक जिनेवा, में हुई भारत वर्ष 1976 से सीआईटीईएस में है। इस बैठक में अपर महानिदेशक वन (प्रोजेक्ट टाइगर) डॉ. एस.पी. यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 77वीं स्थायी समिति बैठक में भाग लिया।

समिति की इस बैठक में अमरीका की नईमा अजीज की अध्यक्षता में समिति ने विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा की गई, इनमें मुख्य रूप से सीआईटीईएस अनुपालन मामले शामिल थे, जो अधिकतर भारत के लिए प्रासंगिक थे।

बयान में कहा गया है कि समित के निर्णय से भारत में रक्‍त चंदन उगाने वाले किसानों को बागानों में रक्‍त चंदन की खेती करने और उसके निर्यात के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इससे किसानों को एक स्थायी आय के साधन के रूप में अधिक से अधिक रक्‍त चंदन के पेड़ उगाने के लिए प्रोत्‍साहन मिलेगा।

सीआईटीईएस यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक पक्ष सीआईटीईएस प्रावधानों को समायोजित करने के लिए राष्ट्रीय विधान का अनुपालन करे। भारत को सीआईटीईएस राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम के लिए श्रेणी 2 में सूचीबद्ध किया गया था। इसलिए, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 को वर्ष 2022 में संशोधित किया गया था, जिसमें सीआईटीईएस के प्रावधानों को इस अधिनियम में शामिल किया गया। सीआईटीईएस की स्थायी समिति ने अपनी 77वीं बैठक में भारत को श्रेणी 1 में रखने का निर्णय लिया, क्योंकि इसने सीआईटीईएस राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम की जरूरतों का पूरी तरह से अनुपालन किया है।

विज्ञप्ति के अनुसार भारत ने बाघों विशेष रूप से एशियाई बाघों के संरक्षण के लिए कड़े उपायों को अपनाने की जरूरत पर बैठक में बल दिया। भारत ने कई देशों और अन्य हितधारकों के साथ मिल कर बाघों की सात प्रजातियों के संरक्षण के लिए 9 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इंटरनेशनल बाघ एलायंस (आईबीसीए) में शामिल होने की सभी सम्बद्ध पक्षों से अपील की है।