
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व में इंदौर को मिलेगा नया सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र, मुख्यमंत्री रविवार को करेंगे भूमिपूजन
इंदौर, 10 मई। महापुरुषों के जीवन दर्शन को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम द्वारा एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व में इंदौर के सिरपुर स्थित देवी अहिल्या सरोवर उद्यान में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्थापित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार, 11 मई को स्वामी विवेकानंद की इस विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्थापित के लिये भूमिपूजन करेंगे। यह भव्य प्रतिमा स्वामी जी की शिक्षाओं और दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बनेगी।
प्रतिमा की विशेषताएँ-
ऊंचाई -प्रतिमा की ऊंचाई 39.6 फीट, संरचनात्मक आधार सहित कुल ऊंचाई लगभग 52 फीट।वजन – लगभग 14 टन।निर्माण सामग्री – विभिन्न धातुओं का मिश्रण — जलवायु प्रतिरोधी और दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए उपयुक्त।विशेष मान्यता – वर्तमान में विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा (35 फीट) कर्नाटक के उडुपी में स्थित है, इंदौर की प्रतिमा इसे पीछे छोड़ देगी।
निर्माण और विकास कार्य-
महापौर भार्गव ने शनिवार को बताया कि इस प्रतिमा का निर्माण देश के ख्यातिप्राप्त मूर्तिकार नरेश कुमावत द्वारा किया जाएगा, जिन्होंने देशभर में कई प्रतिष्ठित मूर्तियाँ निर्मित की हैं। प्रतिमा स्थल पर स्वामी विवेकानंद के जीवन और विचारों पर आधारित एक विशेष गैलरी भी स्थापित की जाएगी, जहाँ चित्रों, दस्तावेज़ों और डिजिटल माध्यमों से युवाओं को प्रेरित किया जाएगा। यह स्थान इंदौर के लिए एक नई पहचान, सांस्कृतिक गौरव और पर्यटन विकास का केंद्र बनेगा।
भूमि पूजन समारोह-
इस ऐतिहासिक परियोजना का भूमिपूजन समारोह रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष उपस्थिति में होगा। यह आयोजन इंदौरवासियों के लिए गौरव और उत्साह का विषय होगा। इस अवसर पर नगर के सभी जनप्रतिनिधि सहित नागरिक उपस्थित रहेंगे। इंदौर नगर निगम का यह प्रयास केवल एक भव्य प्रतिमा की स्थापना नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और स्वामी विवेकानंद की विरासत को संजोने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह परियोजना न केवल इंदौर बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगी।
महापौर ने कहा कि यह प्रतिमा न केवल युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों से अवगत कराएगी, बल्कि उन्हें उनके बताए मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित करेगी। स्वामी जी के आदर्श आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं और यह स्मारक उनके विचारों को स्थायी रूप देगा।————–