उदयपुर और राजसमंद में मतदान का प्रतिशत ज्यादा ऊंचा—नीचा नहीं हुआ है, ऐसे में अब युवा मतदाताओं का रुख और बागियों के वोट काटने की गणित पर जोड़—बाकी की चर्चाएं टिकी हुई हैं..
-कौशल मूंदड़ा-
उदयपुर, 26 नवम्बर। पिछले विधानसभा चुनाव के मतदान की बात करें या इस विधानसभा चुनाव की, लगभग वोटिंग का ट्रेंड वही रहा है, बस मतदाना मौन रहा है। मतदान के प्रतिशत में ज्यादा उलटफेर नहीं हुआ है। कुछ कमी-बेशी के साथ मतदान का प्रतिशत वहीं का वहीं है और इसी के चलते यह अंदाजा लगाना मुश्किल सा हो रहा है कि ऊंट किस करवट बैठेगा। जहां मतदान प्रतिशत में 2 प्रतिशत ऊपर-नीचे हुआ है, वहां भी यही चर्चा है कि यदि 2 प्रतिशत घटा है तो किसके विरोध में घटा है और दो प्रतिशत बढ़ा है तो किसके पक्ष में बढ़ा है।
यदि उदयपुर और राजमसंद जिले की बात करें तो उदयपुर जिले के आठ व राजसमंद जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में दो सीटें ऐसी हैं जहां 2 प्रतिशत मतदान घटा-बढ़ा है। राजसमंद जिले के नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र में इस बार 78.20 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है जो वर्ष 2018 में 76.39 था, वहीं राजसमंद विधानसभा क्षेत्र में इस बार 74.93 प्रतिशत मतदान हुआ है जो वर्ष 2018 में 76.56 था। यह बात अलग है कि यहां विधायक किरण माहेश्वरी के कोरोना से निधन के बाद उपचुनाव में उनकी पुत्री दीप्ति विधायक चुनी गई थीं, लेकिन तब भी जीत का अंतर ज्यादा खास नहीं था। इस बार इन सीटों पर मतदान का 2 प्रतिशत का उतार-चढ़ाव जोड़-बाकी करने वालों की चर्चा में बना हुआ है।
उदयपुर जिले की बात करें तो गोगुन्दा, झाड़ोल सहित सभी क्षेत्रों में मतदान आधे से एक प्रतिशत तक घटा है। दोनों क्षेत्रों में मतदान घटा है, सिर्फ उदयपुर ग्रामीण और सलूम्बर में मामूली बढ़त दर्ज की गई है।
अब चर्चाएं इस पर हैं कि जिन क्षेत्रों में युवा मतदाताओं का प्रतिशत अच्छा रहा है तो उनका रुख परिणाम का आधार बनेगा। वहीं, सबसे बड़ा खतरा बड़े दलों को अपने बागियों से हैं, हर कोई उनके वोट काटने की जोड़-बाकी कर रहा है। पिछली बार के जीत के अंतर से बागियों के वोट काटने के अनुमान से जोड़-बाकी की जा रही है।
खैर, यह जोड़ बाकी 3 दिसम्बर को साफ हो ही जानी है, तब तक कुछ न कुछ चर्चा में बना ही रहेगा।