कोलकाता, 03 सितंबर । कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा चुनिंदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर कड़ी आलोचना की है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्यभर में चुनिंदा कर्मचारियों के माध्यम से काम हो रहा है। असाधारण परिस्थितियों में चयनित नियुक्ति की जा सकती है, लेकिन इसे नियमित रूप से नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि “यहां तो पुलिस भी अनुबंध पर नियुक्त होती है। देश के अन्य किसी हिस्से में ऐसा नहीं होता।”

राज्य सरकार ने इस साल मार्च में उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में अदालत के कर्मचारियों की अनुबंध के आधार पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी की एकल पीठ ने इस नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। राज्य ने इस आदेश को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच का रुख किया। मंगलवार को, अनुबंधित कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित इस मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की आलोचना की और उनकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि एकल पीठ द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया पर जारी की गई रोक फिलहाल जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने राज्य से सवाल किया, “सर्वत्र कैसे अनुबंध के आधार पर कर्मचारी नियुक्त किए जा सकते हैं ? मैंने ऐसा और कहीं नहीं देखा।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया, “अगर कर्मचारियों की नियुक्ति अनुबंध पर होगी, तो क्या वे जिम्मेदार होंगे ? अगर अदालत के कर्मचारी अनुबंध पर होंगे, और कोई फाइल खो जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ?”

मंगलवार की सुनवाई के दौरान, अदालत ने सिविक वॉलंटियर की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाए। इस संदर्भ में, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “जो लोग तीन-चार घंटे के लिए काम करते हैं, उन्हें तो अनुबंध पर नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन सभी कर्मचारियों को अस्थायी रूप से कैसे नियुक्त किया जा रहा है ? अदालत को यह समझ में नहीं आ रहा है। यहां पुलिस भी अनुबंध के आधार पर नियुक्त की जाती है। क्या उन्हें सुबह से काम कराकर 14 हजार रुपये वेतन देने के लिए नियुक्त किया जाता है ? मैंने देश में ऐसा कहीं नहीं देखा।” इसके बाद, डिवीजन बेंच ने राज्य की याचिका को खारिज कर दिया।