
कोलकाता, 12 अप्रैल । बिहार के भोजपुर ज़िले के देवरी महेशपुर गांव की 70 वर्षीया झाझी देवी उस समय फफक पड़ी जब उन्हें पता चला कि उनका छोटा बेटा, जिसे उन्होंने 15 साल पहले मृत मान लिया था और गया जाकर उसका पिंडदान तक कर चुकी थीं, वह हावड़ा अस्पताल में मौजूद है।
यह करिश्माई घटना ‘वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब’ और हैम रेडियो की कोशिशों से संभव हो सकी जिनकी सूचना पर मां-बेटे का यह पुनर्मिलन संभव हुआ। हैम रेडियो के राज्य सचिव अम्बरिश नाग विश्वास ने शनिवार को यह जानकारी हिन्दुस्थान समाचार को दी। उन्होंने बताया कि झाझी देवी के पति की मौत एक खेत में काम करते वक्त बिजली गिरने से हो गई थी। तब वह दिन-रात मेहनत कर किसी तरह अपने दो बेटों को पाल रही थीं। एक दिन धान के खेत से लौटते वक्त उनका छोटा बेटा सागर मंडल, जो उस वक्त मात्र सात साल का था, रास्ते में अचानक गायब हो गया। काफी खोजबीन के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला।
ग्रामीणों के कहने पर झाझी देवी ने मान लिया कि बेटा मर गया है। गांव वालों की मान्यता थी कि बिना पिंडदान के गांव पर अशुभ असर हो सकता है। इसी डर से उन्होंने गया जाकर पति के साथ बेटे का भी पिंडदान कर दिया।
अब 21 साल का हो चुका सागर हाल ही में हावड़ा पुलिस को सड़क किनारे घायल अवस्था में मिला। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन वह बोल नहीं पा रहा था और उसकी याददाश्त भी लगभग समाप्त हो चुकी थी।
हैम रेडियो की एक स्वयंसेविका आसा मांझी ने सागर की स्थिति को समझते हुए ‘वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब’ को सूचना दी। क्लब ने लगातार प्रयास कर उसकी पहचान और पारिवारिक जानकारी जुटाई और अंततः उसकी मां झाझी देवी को खोज निकाला।
जब झाझी देवी अस्पताल पहुंचीं, तो बेटे को देखते ही उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली। कांपती आवाज़ में उन्होंने कहा – “माफ़ कर दे बेटा, तू मर गया ये सोचकर तेरा पिंड दिए थे। अब तू लौट आया है, यही सबसे बड़ी पूजा है।”
झाझी देवी के पास बेटे को घर लाने तक के पैसे नहीं हैं, लेकिन ‘वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब’ ने भरोसा दिलाया है कि वे मां-बेटे के पुनर्मिलन की पूरी व्यवस्था करेंगे।
झाझी देवी का बड़ा बेटा प्रमोद मंडल भी कई सालों से लापता है। गांववालों का कहना है कि वह कभी-कभार इधर-उधर देखा गया है, लेकिन मां को वह भी पिछले 20 सालों से नसीब नहीं हुआ।
अम्बरीश नाग विश्वास ने कहा, “हमारे लिए यह तकनीकी नहीं, भावनात्मक सेवा है। जब कोई मां अपने खोए हुए बेटे को 15 साल बाद वापस पाती है, तो वही हमारी असली सफलता है।”