मंडी, 1 सितंबर । जंगली अनार जिसे स्थानीय भाषा में दाड़ु कहा जाता हैं का पांगणा उप-तहसील क्षेत्र में तुड़ानका सीजन शुरु हो गया है। पज्याणु निवासी रमेश शास्त्री व सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती की जिला मंडी की सलाहकार लीना शर्मा का कहना है कि दाड़ु पूर्णत: प्राकृतिक और जैविक फल है। इसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक छिडक़ाव व रासायनिक खाद का प्रयोग नही होता। दाड़ु के बीजो का धूप मे सुखाया बीज ही अनारदाना कहलाता है। अनारदाना खट्टा-मीठा वात,पित्त, कफ रोग नाशक है। अनारदाना तृप्तिदायक, वीर्यबद्र्धक , बुद्धिवद्र्धक तथा बल दायक माना गया है। दाड़ु का कंटीला वृक्ष मध्य आकार का होता है।
दाड़ु का यह वृक्ष पांगणा, सुईं-कुफरीधार, मशोग, गलयोग सीणी, परेसी, धार-बेलर, बलिंडी, कांढा, बगसाड़, साहज, नांज, तत्तापानी, बसंतपुर आदि पंचायतों सहित सभी स्थानों पर पाया जाता है। दाड़ु के फल के भीतर मणियों के समान लाल कांति वाले दाने ही अधिकतर प्रयोग में लाए जाते है। दाड़ु के फल की बाहर की छाल निकालकर इन दानों को धूप मे सूखा लिया जाता है। कच्चा अनारदाना सफेद रंग का तथा कसैला और पक्का अनारदाना लाल व खट्टा मीठा होता है।
दाड़ु लोगों की आर्थिकी के लिए प्रकृति का वरदान है। स्थानीय निवासी डॉक्टर जगदीश शर्मा का कहना है अनारदाना अनेक रोगों की औषध भी है। प्रत्येक घर मे अनारदाने की चटनी का प्रयोग होता है। इसके सेवन से पाचन संबंधित रोगों का नाश तो होता ही है, शरीर मे दिन भर स्फूर्ति भी बनी रहती है। अनारदाना बलकारक पितनाशक, वात विनाशक हल्का शीतल होता है। यह रक्त के विकार, वमन, अरुचि, अजीर्ण और निर्बलता का नाश करता है। अनार के फूल नकसीर को दूर करते है। बच्चो के अतिसार मे इसकी कली को बकरी के दूध के साथ घीसकर चटाते है। अनारदाना से दाड़िमाष्टक चूर्ण बनाया जाता है। यह चूर्ण आमातिसार, अग्निमान्द्य, अरुचि खांसी, हृदय की पीड़ाएपसली के दर्द, ग्रहणी और गुल्म नाशक है। दाड़िमावलेह का प्रयोग पित्तविकार दाह,अम्लपित्त, रक्त पित, क्षय, प्यास, अतिसार संग्रहणी, कमजोरी, नेत्ररोग, शिरोभाग, लू लगना, धातुस्त्राव, अरूचि आदि विकारों में किया जाता है।
अनारदाना के व्यवसायी धर्मपाल गुप्ता का कहना है कि आजकल अनारदाना का मूल्य 300 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम है। अच्छे पके अनार दाने के और अच्छे दाम मिल सकते हैं। लोग कच्चे दाड़ु का तुड़ान कर सफेद अनारदाना बेच रहे हैंंजिससे उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल रहे है। अत: दाडु पकने पर ही तुड़ान करें।