(महिला दिवस पर ननद-भाभी के रिश्तों को संजोने पर बातचीत)
-सुनीता माहेश्वरी-
उदयपुर। मां बेटी के रिश्ते नजदीकी भरे होते हैं। सास बहू के रिश्तों पर परिवार टिका होता हैं। पर ननद भाभी का रिश्ता परिवार की मजबूत कड़ी है।
यह मानना है उदयपुर की महिला समाज सोसायटी की अध्यक्ष श्रीमती माया कुम्भट का। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ननद-भाभी के रिश्तों के विषय पर विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि भाभी काफी इन्तजार के बाद आती है। पीहर की चौखट छोड़ नये जीवन की शुरुआत करती है। उसका सबसे नजदीकी रिश्ता ननद से होता है। कुछ बात करनी है या कुछ चाहिए तो ननद से ही पूछती है। और एक रिवाज भी है कि भाभी जब अपना सामान खोलती है तो ननद से सबसे पहले आग्रह करती है कि वह कौनसी साड़ी या वस्तु पसंद करेंगी। यह रिवाज अपनेपन व नजदीकी में बदलता है। इस तरह के रिवाज भाभी ननद के बीच हैं। हमारे पूर्वज इतने समझदार थे कि रिश्तों को रस्मों के द्वारा संभालना और निभाना सिखाया। उनको रिश्तों की जरूरत और महत्व की समझ थी।
श्रीमती कुम्भट कहतीं हैं कि ननद भाभी के रिश्ते सहजता, सामंजस्यता व विश्वास पर टिके होने चाहिए, दिखावे पर नहीं। एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने बताया, एक बार भाभी के घर किसी काम पर उन्होंने भाभी से कह दिया कि आपका घर है आप कर लो यह काम। तब भाभी यह कहती हैं, माउ पेली थांको घर है, मैं तो पछै आया हां। थाने तो यो सोचनो भी नही चाहिजे, आप पराया नहीं हो। यह कहना उचित होगा कि भाभी बिना ननद के लिए पीहर उसी तरह अधूरा है जैसे नमक के बिना खाना।
भाभी ननद पॉजिटिव सोच रखे, यह नाजुक डोर है, न ज्यादा खींचे न ढीली छोड़े, बस बैलेन्स बनाकर रखे। एक-दूसरे को समझे। मधुरता ऊपरी तौर पर नहीं, मन से होनी चाहिए। आदर, सम्मान, स्नेह के बीच पैसा नहीं आना चाहिए। भाभी पैसे वाली हो या ननद पैसे वाली, पैसा रोड़ा नहीं बनना चाहिए। हमारे यहां मायरे के रिवाज में पैसों की वजह से कहीं कहीं कड़वाहट देखने को मिल जाती है, मायरा वही सफल है जहां पैसा नहीं पारिवारिक प्रेम का ज्यादा वजन होता है। पैसा हो और प्रेम नहीं हो, तब भी क्या फायदा। ननद -भाभी साथ तो दुनिया जीत सकते हैं।
कुम्भट कहतीं हैं, कोरोनाकाल में हमने देखा कोई साथ आया या नहीं, परिवार ही काम आया। ननद-भाभी का सहयोग काम आया।
कुम्भट ने चिंता भी जताई कि सिंगल चाइल्ड की तरफ बढ़ता रुझान इस रिश्ते को ही खत्म कर देगा। समाज में एक चिन्तन इस पर भी होना चाहिए।
कुम्भट ने कहा कि जिस तरह हम गर्म कपड़़ों को धूप देते हैं, प्रेस करते हैं, सम्भाल कर रखते हैं, । उसी तरह ननद भाभी के रिश्तों में प्यार की धूप, अपनेपन की प्रेस और सहयोग की सम्भाल समय-समय पर जरूर करें। जैसे मोबाइल को रिचार्ज करते हैं वैसे ही रिश्तों की प्रगाढ़ता के लिए राखी व भाई दूज पर रिचार्ज करते रहें।