कोलकाता, 04 फरवरी । कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के नए सरकारी वकीलों के पैनल को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है। अदालत ने कहा कि यदि ज़रूरत पड़ी तो पैनल से कुछ वकीलों के नाम हटा दिए जाएंगे और इस मामले में राज्य के कानून मंत्री मलय घटक का हस्तक्षेप भी मांगा जा सकता है।
हाल ही में राज्य सरकार ने अपने कानूनी पैनल में बदलाव किए हैं, जिसमें कुछ नए वकीलों को शामिल किया गया है। लेकिन हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने इन नए वकीलों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा कि सरकारी वकीलों में मुकदमे लड़ने की इच्छाशक्ति की कमी है।
न्यायमूर्ति बसु की अदालत में हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का वकील उपस्थित नहीं था। बाद में एक अन्य वकील पहुंचे, लेकिन उन्हें मामले की जानकारी नहीं थी। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण मुकदमों में भी सरकारी वकील या तो पेश नहीं हो रहे हैं या पूरी तैयारी के साथ नहीं आ रहे हैं।
न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि राज्य के कानूनी पैनल में कुछ ऐसे वकील हैं, जिन्हें मैं पहचान भी नहीं पा रहा हूं। कई को पहली बार हाई कोर्ट में देख रहा हूं। अब तो अलीपुर कोर्ट से वकीलों को लाकर पैनल में जगह दी जा रही है, और नतीजा हमारे सामने है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसी स्थिति जारी रही, तो वे इन वकीलों को पैनल से हटाने की सिफारिश करेंगे।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य के सरकारी वकीलों के प्रमुख (जीपी) को इस पूरे मामले पर नज़र रखनी चाहिए, वरना पैनल की सूची कानून मंत्री को भेजी जाएगी।