पुरुलिया, 10 जून। शुरुआत में अत्यधिक देरी, योजना में कई बार बदलाव और भूमि विवाद के कारण पुरुलिया जिले में ‘जेआईसीए’ परियोजना का काम समय पर शुरू नहीं हुआ। काम कब पूरा होगा, इस पर भी लगातार बहस हो रही है। कहा गया था कि इस साल मार्च तक जेआईसीए परियोजना का ट्रायल रन शुरू हो जाएगा। जनता को फ़िल्टर किया हुआ पेयजल मिलेगा।

प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि जेआईसीए परियोजना से पानी पाने के लिए निवासियों को अभी भी लगभग छह महीने तक इंतजार करना होगा।

लोक स्वास्थ्य तकनीकी विभाग के जिला अभियंता सनत अधिकारी ने कहा कि जेआईसीए परियोजना का काम युद्धकालीन गतिविधि के रूप में चल रहा है। हम 30 नवंबर तक काम पूरा करने को लेकर बहुत आशावादी हैं।

उल्लेखनीय है कि तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद, 2013-14 में, जापान की वित्तीय सहायता से जेआईसीए (जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी) परियोजना के तहत पुरुलिया जिले के एक विशाल क्षेत्र में पेयजल समस्या को हल करने के लिए केंद्र और राज्य की एक संयुक्त पहल की गई थी। परियोजना का डिजाइन भी बदल गया। परियोजना के लिए अंतिम मंजूरी 2019 की शुरुआत में मिली। 1296 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। तय हुआ कि मुकुटमणिपुर जलाशय से पानी खींचा जाएगा। फिर इसे फिल्टर कर जिले के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के पांच प्रखंडों में आपूर्ति की जाएगी।

जनस्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मानबाजार-1, पुंचा, बड़ाबाजार और पुरुलिया-1 प्रखंडों के कुछ हिस्सों और पूरे अर्शा प्रखंड में पीने का पानी पहुंचेगा। परियोजना से 458 मौजा के कुल 92,027 परिवारों को पाइप से पानी मिलेगा। इसके लिए कुल 42 ओवरहेड टैंक बनाए गए हैं। साथ ही पुरुलिया नगरपालिका को भी रोजाना करीब 12.92 मिलियन लीटर पानी मिलेगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद शिकायत की थी कि परियोजना में देरी हो रही है तब से परियोजना के इंजीनियर मार्च 2025 तक काम पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। संबंधित विभाग ने यह भी वादा किया था कि मार्च तक ट्रायल रन हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। परियोजना से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि पाइपलाइन का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। मुकुटमणिपुर जलाशय से पानी खींचने का काम अभी बाकी है। वह काम दिन-रात चल रहा है। उम्मीद है कि दिसंबर से हम पानी दे पाएंगे।

जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जमीन पर अतिक्रमण के कारण परियोजना का काम काफी देरी से शुरू हुआ है। काम में करीब 17-18 महीने की देरी हो चुकी है। साथ ही मुकुटमणिपुर जलाशय की ‘पाइलिंग’ के दौरान नीचे पत्थर आने से काम में बाधा आ रही है। इसमें तय समय से डेढ़ गुना अधिक समय लग रहा है। कई बार पाइलिंग के दौरान पानी घुस गया है और परेशानी हुई है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का सवाल है कि अगर जेआईसीए परियोजना लागू होती है तो पुरुलिया शहर समेत कुल पांच ब्लॉकों के लोगों को लाभ मिलेगा, लेकिन शेष 15 ब्लॉकों के लोग अब भी पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं।