
कोलकाता, 07 अप्रैल । प्राइमरी शिक्षक नियुक्ति घोटाले में 32 हजार नौकरियों को रद्द करने से जुड़े मामले की सुनवाई सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में नहीं हो सकी। डिवीजन बेंच के एक सदस्य, न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए खुद को मामले से अलग कर लिया। इसके बाद मामला हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम को भेज दिया गया है।
सोमवार को इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की डिवीजन बेंच में होनी थी। लेकिन न्यायमूर्ति सेन के हट जाने के कारण नियमों के तहत यह मामला अब इस डिवीजन बेंच के अधीन नहीं रहा।
इस संबंध में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता तरुणज्योति तिवारी ने कहा, “हमने सोचा था कि आज सुनवाई होगी, लेकिन न्यायमूर्ति ने निजी कारणों से खुद को अलग कर लिया। इस पर कुछ कहने का नहीं है। हम बस यही प्रार्थना करते हैं कि माननीय मुख्य न्यायाधीश इस मामले को ऐसे बेंच में भेजें जहां जल्द सुनवाई संभव हो।”
उल्लेखनीय है कि मई 2023 में हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने 32 हजार प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की थी। इसी से जुड़ी एक अन्य याचिका में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने 42 हजार नियुक्तियों की नई सूची प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। उस आदेश पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन लगा रखा है। हाल ही में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 26 हजार माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों तथा शिक्षाकर्मियों की नौकरियां रद्द करने का निर्देश दिया था। इसके बाद राज्य में हर स्तर पर हलचल मच गई है। ऐसे माहौल में प्राइमरी शिक्षक नियुक्ति मामले की सुनवाई को लेकर भी व्यापक चर्चा हो रही है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि अदालत के निर्देश पर प्रकाशित अंक विभाजन सहित सूची से स्पष्ट हुआ कि कम अंक पाने वाले कई अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों को नियुक्ति की अनुशंसा मिली थी। इसी के बाद न्यायमूर्ति गांगुली ने नियुक्ति सूची को रद्द करते हुए सख्त चेतावनी दी थी।