रांची, 25 अगस्त । झारखंड विधानसभा में सोमवार को बड़ा खुलासा हुआ। स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने स्वीकार किया कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जान-बूझकर अयोग्य और गैर सरकारी व्यक्ति को झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल का प्रभारी निबंधक सह सचिव नियुक्त किया था।

जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय द्वारा सोमवार को सदन में पूछे गए अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में विभाग ने माना कि राहुल कुमार अयोग्य पाए गए, जिसके बाद उनका फार्मासिस्ट निबंधन और ट्रिब्यूनल निबंधन काउंसिल ने रद्द कर दिया।

विभागीय जांच में यह भी साफ हुआ कि योग्य सरकारी फार्मासिस्ट की सूची उपलब्ध होने के बावजूद उसे दरकिनार कर अयोग्य गैर सरकारी व्यक्ति की नियुक्ति की गई। इस नियुक्ति में तत्कालीन मंत्री की भूमिका प्रत्यक्ष रूप से उजागर हुई।

विधायक सरयू राय ने सदन में सवाल उठाया कि जब यह साबित हो गया कि एक अयोग्य और गैर सरकारी व्यक्ति राहुल कुमार को पद पर बैठाने का षड्यंत्र हुआ, तो इसके दोषियों पर सरकार कब कार्रवाई करेगी?

लेकिन सरयू राय के सवाल पर सरकार ने चुप्पी साध ली। विभाग ने केवल इतना स्वीकार किया कि तत्कालीन मंत्री ने अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति की थी, परंतु दोषियों पर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के सवाल पर कोई उत्तर नहीं दिया।

जवाब टालने की इस कोशिश पर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ और शोरगुल के बीच विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस कारण मामले पर बहस संभव नहीं हो सका।