जलपाईगुड़ी, 31 मई  ।2023 में सिक्किम में आई भीषण प्राकृतिक आपदा का असर उत्तर बंगाल की जीवनरेखा मानी जाने वाली तिस्ता नदी पर भी पड़ा। भारी भूस्खलन और पहाड़ से आए मलबे के कारण नदी की गहराई कम हो गई और कई स्थानों पर उसका बहाव बदल गया। इसके कारण जलपाईगुड़ी के लालटंग बस्ती और चामकडांगी गांव जैसे इलाके पूरी तरह बह गए और बाढ़ की समस्या गंभीर हो गई।अब पश्चिम बंगाल सरकार ने तिस्ता को उसके पुराने रास्ते पर लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने तिस्ता नदी की तलहटी से पॉलि, बालू और मिट्टी हटाने की योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत न सिर्फ नदी की सफाई की जाएगी, बल्कि निकाली गई बालू-मिट्टी को बेचकर सरकारी राजस्व भी अर्जित किया जाएगा। परियोजना का कार्यान्वयन राज्य सिचाई विभाग के अंतर्गत पश्चिम बंगाल मिनरल डिवेलपमेंट एंड ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमडीटीसीएल) के जिम्मे सौंपा गया है।

उत्तर बंगाल में मॉनसून सक्रिय हो चुका है, इसीलिए फिलहाल नदी-खनन का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। लेकिन जैसे ही बारिश समाप्त होगी, तिस्ता की सफाई का काम युद्धस्तर पर शुरू किया जाएगा। जानकारों का मानना है कि यह काम समय पर पूरा हो गया, तो अगली बरसात से पहले तिस्ता को उसके पुराने रास्ते पर लौटाना संभव हो सकेगा।

इस परियोजना के पहले चरण में सिचाई विभाग ने एमडीटीसीएल को सेवक पहाड़ियों की तलहटी से लेकर माल, राजगंज, जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक होते हुए मयनागुड़ी तक करीब 60 किलोमीटर लंबे नदी मार्ग की सफाई की जिम्मेदारी सौंपी है। सिचाई विभाग के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के मुख्य अभियंता कृष्णेंदु भौमिक ने बताया कि नदी की तलहटी को एक से डेढ़ मीटर तक खोदा जाएगा। कहां-कहां कितना खनन होगा, इसकी जानकारी और तकनीकी सहायता विभाग देगा।

सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि तिस्ता से निकाली गई बालू और मिट्टी की बिक्री से राज्य सरकार को अच्छा-खासा राजस्व मिलेगा। साथ ही नदी की गहराई बढ़ने और बहाव पुराने रास्ते पर लौटने से बांधों की रक्षा होगी, बाढ़ की आशंका घटेगी और स्थानीय लोग भी सुरक्षित रहेंगे।

2023 की आपदा के बाद कई तिस्ता तटवर्ती गांवों से लोगों को हटाकर उनका पुनर्वास किया गया था। अब राज्य सरकार स्थायी समाधान के रूप में तिस्ता को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रही है। सिचाई विभाग ने पिछले साल ही नदी की सफाई का प्रस्ताव तैयार कर विशेषज्ञों के साथ सर्वेक्षण किया था। अब जाकर उस योजना को औपचारिक मंजूरी मिली है।