रांची, 24 अगस्त। श्री गुरु नानक सत्संग सभा में रविवार को धन-धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व रविवार को कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। सुबह 7:40 बजे हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह ने आसा दी वार कीर्तन से विशेष दीवान की शुरुआत की।

गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने संगत को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व का इतिहास विस्तार से बताते हुए कहा कि सन 1604 में गुरु अर्जुन देव जी की देखरेख में बाबा बुड्ढाजी ने पहला प्रकाश किया था। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में 974 अंगों में पांच गुरुओं की वाणी दर्ज थी, जिसे बाद में गुरु गोविंद सिंह जी ने दमदमा साहिब में संपादित कर वर्तमान स्वरूप 1430 अंगों में तैयार किया।

दीवान में सिख पंथ के प्रसिद्ध रागी जत्था भाई सुखप्रीत सिंह (लखनऊ) ने अपने मधुर शबद-कीर्तन से संगत को निहाल किया। गुर राम दास राखो शरनाई, सो सतगुर प्यारा मेरे नाल है जैसे शबदों पर संगत भाव-विभोर हो उठी।

कार्यक्रम का समापन श्री आनंद साहिब के पाठ, अरदास, हुकुमनामा एवं कढ़ाह प्रसाद के वितरण के साथ हुआ। इस अवसर पर गुरु का अटूट लंगर चलाया गया। सभा के प्रधान अर्जुन देव मिढ़ा और सचिव सुरेश मिढ़ा ने भाई सुखप्रीत सिंह जी को गुरु घर का सरोपा भेंट कर सम्मानित किया।

वहीं कार्यक्रम में सहयोग देने वालों को भी सरोपा देकर नवाजा गया। संचालन मनीष मिढ़ा ने किया।