
कोलकाता, 25 जून । नदिया जिले के कालीगंज में दो दिन पहले हुए बम धमाके में मारी गई 13 वर्षीय तमन्ना खातून के परिजनों ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराए जाने की मांग की है। परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस मुख्य आरोपितों को बचा रही है और मामले में राजनीतिक उद्देश्य को जान-बूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।
तमन्ना की मां सबीना यासमीन ने बुधवार को दावा किया है कि घटना के समय सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की विजय रैली निकाली जा रही थी, जो कालीगंज उपचुनाव में अलीफा अहमद की जीत का जश्न मना रही थी। इसी दौरान उनके घर को निशाना बनाकर बम फेंके गए, जिससे उनकी बेटी की मौत हो गई।
तमन्ना की मां ने बताया कि उनका पूरा परिवार लंबे समय से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से जुड़ा रहा है और इसी वजह से उन्हें निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि हमारे घर की हर दिशा में बम फेंके गए, यहां तक कि अटारी तक में बम के छर्रे मिले। मैं भी सिर पर चोट खाकर घायल हो गई हूं। हमलावरों के चेहरे मैंने देखे हैं और वे सभी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े लोग हैं।
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर उनके घर पर 40 से 50 बम फेंके गए, तो अब तक सिर्फ चार लोगों को ही क्यों गिरफ्तार किया गया है ? (हालांकि अब गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है) उनके मुताबिक इतने बड़े हमले को सिर्फ चार लोग अंजाम नहीं दे सकते।
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महिला आयोग ने लिया स्वत : संज्ञान
घटना को लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कृष्णानगर जिले के पुलिस अधीक्षक अमरनाथ के से जवाब मांगा है। आयोग ने पूछा है कि क्या विजय जुलूस के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी ? क्या पुलिस के पास किसी संभावित हिंसा की खुफिया जानकारी थी ? और क्या रैली में कोई हथियार या बम लेकर चल रहा था ? महिला आयोग ने इन सवालों का जवाब 72 घंटे के भीतर देने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को कालीगंज विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अलीफा अहमद की जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने विजय रैली निकाली थी। उसी दौरान हुए बच्ची के घर को लक्ष्य कर फेके गए बम विस्फोट में तमन्ना खातून की जान चली गई थी। पश्चिम बंगाल पुलिस की फोरेंसिक टीम ने भी घटनास्थल का दौरा कर नमूने संग्रह किए हैं।