करेंट से झुलसा हुआ जिंदगी ओर मौत से जूझता युवक

न विद्युत विभाग आया न ठेकेदार, परिजन भटक रहे दर–दर

बीकानेर/श्रीडूंगरगढ़, 6 सितंबर।
श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के उदरासर गांव का एक संविदा कर्मचारी पिछले डेढ़ महीने से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है। बिजली के फॉल्ट को ठीक करने के दौरान करंट लगने से बुरी तरह झुलसे मनीराम सारस्वत बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भर्ती हैं। हालत इतनी गंभीर है कि डॉक्टरों ने परिवार को साफ कह दिया है कि अब वह सामान्य जीवन नहीं जी पाएंगे।

परिजनों का आरोप है कि हादसे के बाद न तो विद्युत विभाग और न ही ठेकेदार ने कोई जिम्मेदारी निभाई। परिवार इलाज और न्याय के लिए दर–दर भटक रहा है।

यह हादसा 27 जुलाई की शाम करीब पांच बजे हुआ। मनीराम सारस्वत बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी के तौर पर कार्यरत था। घटना के दिन वह ठेकेदार के निर्देश पर कनिष्ठ अभियंता जयनारायण शुक्ला के साथ जालबसर रोही क्षेत्र में फॉल्ट सुधारने गया था।

परिजनों और ग्रामीणों के अनुसार, तीन पोल पर फॉल्ट सुधारने के बाद जैसे ही मनीराम चौथे पोल पर चढ़ा, पीछे से बिना चेतावनी दिए लाइन चालू कर दी गई। अचानक तेज करंट लगने से मनीराम पोल से नीचे गिर पड़ा।

हादसे में मनीराम का एक हाथ पूरी तरह जल गया और गिरने से उसकी रीढ़ की हड्डी चार जगह से टूट गई। तब से वह अस्पताल में भर्ती है और जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।

परिवार पर टूटा संकट

मनीराम की हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, अब उसके ठीक होकर सामान्य जीवन जीने की संभावना बेहद कम है।

उनकी मां पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित हैं। परिवार में दो छोटे बच्चे हैं, जिनका भरण–पोषण पूरी तरह मनीराम पर ही निर्भर था। हादसे के बाद से पूरा परिवार आर्थिक और मानसिक संकट में घिरा हुआ है।

परिवार का कहना है कि “जिस व्यक्ति ने बिजली विभाग के निर्देश पर जान जोखिम में डालकर काम किया, उसकी जिंदगी तबाह होने के बाद विभाग और ठेकेदार ने मुंह मोड़ लिया। क्या किसी मजदूर की जान इतनी सस्ती है?”

विभाग और ठेकेदार की बेरुखी

परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि हादसे के बाद न तो विद्युत विभाग का कोई अधिकारी और न ही ठेकेदार अस्पताल पहुंचे। “अपनी जिम्‍मेदारी निभाना तो दूर आज तक किसी ने हालचाल पूछने की भी जहमत नहीं उठाई।”

मुआवजे और मदद की मांग

पीड़ित परिवार ने मनीराम के इलाज और परिवार के भरण–पोषण के लिए एकमुश्त 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है।
इस मामले में श्रीडूंगरगढ़ थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है, लेकिन अब तक न प्रशासन और न ही विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया है।

आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीण कैलाश मोट ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते प्रशासन और विभाग ने पीड़ित परिवार की मांगें पूरी नहीं कीं, तो वे सर्व समाज को साथ लेकर उग्र आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा, “अब तक विभाग ने जिस तरह लापरवाही दिखाई है, उससे लोगों का धैर्य टूट रहा है। यदि मजबूरन आंदोलन करना पड़ा तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और विद्युत विभाग की होगी।”

संविदा कर्मियों की सुरक्षा पर सवाल

यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों का कहना है कि संविदा कर्मचारियों से खतरनाक काम तो कराए जाते हैं, लेकिन उनके लिए न तो सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं और न ही हादसे की स्थिति में बीमा और सुरक्षा गारंटी।

न्याय की उम्मीद

मनीराम सारस्वत का परिवार उम्मीद लगाए बैठा है कि सरकार, प्रशासन और बिजली विभाग उनकी पुकार सुनेगा और न्याय दिलाएगा। लेकिन हर बीतते दिन के साथ परिवार की परेशानियां बढ़ रही हैं और उम्मीदें कमजोर होती जा रही हैं।