अब इन इलाकों में बन रही हैं सड़कें और पुल-पुलिया, ग्रामीणों के सुर भी अब धीरे-धीरे बदल रहे, जो नक्सलियों के खात्मे का दे रहे संकेत

जगदलपुर, 21 अप्रैल । छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित इलाकाें में नक्सलियों का सबसे सुरक्षित गढ़ रहे अबूझमाड़ और दूसरे छोर में टेकलगुडम और इससे लगे कुछ गांव हुआ करते थे। इसमें से एक ग्राम पूवर्ती देश के मोस्ट वांटेड एक कराेड़ के इनामी नक्सली हिड़मा और नक्सलियों के मिलिट्री दलम के कमांडर बारसा देवा का गांव है। एक वक्त ऐसा भी था, जब दूरस्थ गांव में नक्सली दहशत के कारण लोग पूवर्ती, सिलगेर, कोंडापल्ली में जाने को सोचने से भी कांपने लगते थे।

लेकिन नक्सलियों के सफाए के साथ अब ऐसे गांवों तक न केवल सड़कों के साथ पुल-पुलियों का निर्माण हो रहा है बल्कि यात्री बसों का भी आवागमन शुरू हो गया है, जिससे ग्रामीणाें का इन गांवों से जिला एवं ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचना आसान हो गया है। यहां चार मार्ग ऐसे हैं, जहां पहली बार बसों का आना-जाना शुरू हो गया है। इनमें एक मार्ग नक्सली कमांडर हिड़मा का गांव पूवर्ती भी शामिल है।

पूवर्ती गांव तक जाने के लिए अब सिलगेर से पूवर्ती के बीच सड़क बन जाने से आवागमन आसानी से हो रहा है। यहां एक हजार से ज्यादा जवानों की निगरानी में बीआरओ द्वारा सड़क बनाई जा रही है। इस इलाके के ग्रामीणों के सुर भी अब धीरे-धीरे बदल रहे हैं, जो नक्सलियों के खात्मे के संकेत दे रहे हैं। परिवहन विभाग के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डीसी बंजारे ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर जिस सड़क पर बस नहीं चल रही है, वहां बस की सुविधा दी जा रही है। सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिला मुख्यालय से पुरम से पूवर्ती, दोरनापाल-जगरगुंडा, सिलगेर से बासागुड़ा साथ ही बीजापुर जिले के बासागुड़ा से सिलगेर तक एक-एक यात्री बस चल रही है। इन सड़कों पर पहली बार यात्री बसों का आवागमन शुरू हुआ, जिससे ग्रामीणों को राहत तो मिली ही है। साथ ही उन्हें सुख और शांति का भी अनुभव हो रहा है।

इससे पहले लोगों को तेलंगाना या फिर दंतेवाड़ा, गीदम से जाना पड़ता था, लेकिन अब दोरनापाल से जगरगुंडा, किष्टारम, पूवर्ती, पुरम से पूवर्ती, कोंडापल्ली, जिदपल्ली, पामेड़, उसूर, पुजारी कांकेर, सिलगेर, पूवर्ती, कोंडापल्ली तक एवं तर्रेम तक यात्री बस से आवागमन हो रहा है। हिड़मा के गांव तक 189 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन की ओर से किया जा रहा है। इससे सुकमा एवं बीजापुर जिले को जोड़ा जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के सीई, एसई ने हाल ही में दोरनापाल से जगरगुंडा सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण किया है।

लोक निर्माण विभाग जगदलपुर जोन के मुख्य अभियंता जीआर रावटे ने बताया कि दोरनापाल से जगरगुंडा 58 किमी और सिलगेर से बासागुड़ा 80 किमी तक सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। निर्माण होने से लोगों काे आवागमन में आसानी हाेगी।

गाैरतलब है कि कुछ महीने पहले तक ग्राम पूवर्ती समेत आस-पास के इन इलाकों में नक्सली कमांडर हिड़मा, देवा और उनकी बटालियन नंबर एक का वर्चस्व हुआ करता था। हिड़मा की इस बटालियन में 300 से 400 की संख्या में नक्सलियाें का यह सुरक्षित ठिकाना था। अब बदली हुई परिस्थितियाें में 13 करोड़ रुपये की लागत से सिलगेर से लेकर पूवर्ती तक करीब 13 किमी की सड़क बनाई जा रही है, यह सड़क लगभग बनकर तैयार हाे गयी है।

बीआरओ ने पहले भी बस्तर में सड़कें बनाई हैं। इसलिए नक्सली हिड़मा के इलाके में सड़क बनाने का जिम्मा दिया गया है। स्थानीय ग्रामीणों के बताया कि खूंखार नक्सली हिड़मा का पैतृक गांव पूवर्ती, सिलगेर, कोंडापल्ली जैसे गांवों में जाने के लिए काेई वाहन उपलब्ध नहीं था, लोग मोटरसाइक‍िल या फिर पैदल ही आवाजाही किया करते थे। लेकिन अब सुरक्षाबलों के कैंप की स्थापना के बाद से सड़क का निर्माण किया जा रहा है और ऐसे गांवों तक यात्री बसें चल रही हैं। यात्री बसों के आने-जाने से लोगों का गांव तक पहुंचना आसान हो गया है। यहां तक अब सुकमा एवं बीजापुर जिले में नक्सल प्रभावित गांवों से भी यात्री बसों का आवागमन होने लगा है।