
रांची, 20 जून । झारखंड में जारी अवैध बालू खनन के कारण पुल-पुलियाओं की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। खूंटी-सिमडेगा पथ पर स्थित बनई नदी के पुल का टूटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
इस गंभीर विषय पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप मिश्रा ने शुक्रवार को बातचीत में कहा कि राज्य में अवैध बालू खनन ने पुलों की नींव खोखली कर दी है। बनई नदी पुल का टूटना कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं, बल्कि वर्षों से जारी अवैध उठाव का नतीजा है। इस पुल की पीलर से बालू लगभग गायब हो गई थी।
उन्होंने बताया कि बकसपूर पूल भी अब धंसने की कगार पर है। यहां भी पुलिस प्रशासन और बालू माफियाओं के गंठजोड़ से जमकर बालू उठाव किया गया है। यह धंसने की कगार पर है। इसी तरह तोरपा के अम्बापकना गिडुम पुल और करोड़ों की लागत से बना तमाड़ का बमलाडीह पुल पहले ही धंस चुके हैं। इनके पिलर से सटाकर बालू का उठाव किया गया था।
दिलीप मिश्रा ने आरोप लगाया कि राज्य में प्रशासनिक महकमों और बालू माफियाओं की मिलीभगत के कारण ही यह संकट पैदा हुआ है। नहीं तो एनजीटी के निर्देशों के बावजूद अवैध खनन बदस्तूर कैसे जारी है। हालांकि सरकार और विभागों को बार-बार पत्र लिखकर बालू उठाव मामले से अवगत कराया गया है। पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने पूर्व मंत्री एनोस एक्का के कार्यकाल में बनई नदी पर बने पुल में घटिया सामग्री उपयोग का भी ज़िक्र किया। मिश्रा ने चेताया कि यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो आने वाले दिनों में कर्रा और गोविंदपुर क्षेत्र की कारों नदी में बने बकसपूर पुल का भी यही हाल होगा। बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। जिसकी जानकारी रेलवे को भी दी गई है।