
नई दिल्ली, 4 सितंबर।
विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी की विवादों में फंसी फिल्म `द बंगाल फाइल्स’ 5 सितंबर यानी कल दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है, लेकिन बंगाल में इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है। इस संबंध में विवेक अग्निहोत्री ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाई है।
इस फिल्म की निर्माता पल्लवी जोशी ने अपने पत्र लिखा है कि `द बंगाल फाइल्स’ की निर्माता होने के नाते मुझे गहरा दुख है कि बंगाल के मल्टीप्लेक्स चेन ने सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक दबाव और धमकियों के चलते फ़िल्म की रिलीज़ से इनकार कर दिया है। उन्होंने निवेदन किया कि उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए और इस फ़िल्म की बंगाल में रिलीज़ सुनिश्चित की जाए।
इस हालत पर भाजपा के आईं टी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने गुरुवार को पत्र साझा करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की सेंसरशिप खुलेआम हुई है। दी केरल स्टोरी भी थिएटर में रिलीज़ से रोका गया था, जबकि अदालत ने इसकी अनुमति दी थी — लेकिन ममता बनर्जी प्रशासन की ओर से हिंसा की धमकियों के चलते फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो पाई। हाल ही में जावेद अख्तर का एक कार्यक्रम भी कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के दबाव के कारण रद्द कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति अब हास्यास्पद स्तर तक पहुँच चुकी है। यह ऐसा है मानो बाघ की सवारी कर रही हों — न तो वे उससे उतर पा रही हैं और न ही उसे काबू में कर पा रही हैं, बिना इस डर के कि कहीं वही उन्हें न निगल जाए।
विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी की विवादों में फंसी फिल्म `द बंगाल फाइल्स’ 5 सितंबर यानी कल दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है, लेकिन बंगाल में इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है। इस संबंध में विवेक अग्निहोत्री ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाई है।
इस फिल्म की निर्माता पल्लवी जोशी ने अपने पत्र लिखा है कि `द बंगाल फाइल्स’ की निर्माता होने के नाते मुझे गहरा दुख है कि बंगाल के मल्टीप्लेक्स चेन ने सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक दबाव और धमकियों के चलते फ़िल्म की रिलीज़ से इनकार कर दिया है। उन्होंने निवेदन किया कि उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए और इस फ़िल्म की बंगाल में रिलीज़ सुनिश्चित की जाए।
इस हालत पर भाजपा के आईं टी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने गुरुवार को पत्र साझा करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की सेंसरशिप खुलेआम हुई है। दी केरल स्टोरी भी थिएटर में रिलीज़ से रोका गया था, जबकि अदालत ने इसकी अनुमति दी थी — लेकिन ममता बनर्जी प्रशासन की ओर से हिंसा की धमकियों के चलते फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो पाई। हाल ही में जावेद अख्तर का एक कार्यक्रम भी कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के दबाव के कारण रद्द कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति अब हास्यास्पद स्तर तक पहुँच चुकी है। यह ऐसा है मानो बाघ की सवारी कर रही हों — न तो वे उससे उतर पा रही हैं और न ही उसे काबू में कर पा रही हैं, बिना इस डर के कि कहीं वही उन्हें न निगल जाए।