दिल्ली/लखनऊ, 9 जून । ईश्वर को साक्षी मानकर शपथ की प्रक्रिया शुरू की जाती है। शपथ ग्रहण के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मैं अमुक ईश्वर की शपथ लेता हूं कि विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा’। इस तरह पूरी शपथ में करीब 148 शब्द होते हैं। यह शपथ देश के राष्ट्रपति दिलाते हैं।

शपथ का ड्राफ्ट पहले आम चुनाव से पहले भारतीय संविधान के अनुसार तैयार किया गया था, जिसके बाद प्रधानमंत्री संवैधानिक परिपत्र पर हस्ताक्षर करते हैं। उसके बाद हस्ताक्षर किया हुआ यह दस्तावेज राष्ट्रपति के पास जमा किया जाता है। यह दस्तावेज हमेशा के लिए सुरक्षति रखने के लिए संरक्षित भी किए जाते हैं।

प्रधानमंत्री पद की शपथ का प्रारूप गोपनीयता की शपथ के प्रारूप से एकदम अलग होता है। संविधान के 16वें संशोधन अधिनियम और 1963 की धारा पांच से पद की शपथ को लिया गया है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री शपथ लेते हैं कि ‘मैं, ईश्वर की शपथ लेता हूं या सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान का पालन करूंगा।’ ‘मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा। सत्यनिष्ठा के साथ अपने कर्त्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा। मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा। एक प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्री के तौर पर कई ऐसी जानकारियां होती हैं, जिनके अपने प्रोटोकॉल होते हैं। ये जानकारियां किसी के सामने खुले तौर पर न बताने की शपथ लेनी होती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस शपथ के साथ कहा कि एक पीएम के तौर पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मेरे अधीन या विचाराधीन मामले या राष्ट्रहित से जुड़े किसी भी मामले की जानकारी को किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों से तब तक साझा नहीं करूंगा , जब तक कि प्रधानमंत्री के रूप में उनके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए ऐसा करना जरूरी न हो।