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मसूरी/देहरादून, 29 नवंबर । द साबरमती रिपोर्ट फिल्म के जरिए भले लोगों को गुजरात का गोधरा कांड याद आ रहा हो, लेकिन ट्रेनी आईएएस अफसरों के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को गुजरात में खरीफ सीजन के दौरान के झगड़े याद आए। समस्या के मूल पर चोट करने के संबंध में उन्होंने प्रशिक्षु अफसरों को अपने ही अंदाज में उदाहरण देते हुए कई सारी पुरानी बातों का जिक्र किया।
अमित शाह गुरुवार को मसूरी में प्रशिक्षु अफसरों के बीच करीब 90 मिनट तक बोले। कई अफसरों ने उनसे सवाल पूछे। तमाम तरह की बातें की। शाह ने इस दौरान गुजरात में खरीफ सीजन के दौरान के पुराने झगड़ों की बात साझा की। उन्होंने शुरुआत हंसते हुए की, चाहे कहीं रहूं, गृह मंत्री ही बनता हूं। जब गुजरात का गृह मंत्री था, तब वहां खरीफ सीजन के दौरान जमीन के झगड़ों पर खूब केस दर्ज हुआ करते थे। मैने तीन जिलों पर फोकस किया। समस्या के मूल में गया। जमीन के झगड़े निबटाने के लिए सीमांकन किया। नतीजा ये निकाला कि 92 फीसदी मुकदमों में कमी आ गई।
अफसरों को बेहतर कामकाज के लिए मूलमंत्र देते हुए शाह ने बार-बार गुजरात को याद किया। वहां के उदाहरण दिए। उन्होंने अफसरों को गुजरात की एक कहावत सुनाई। फिर उसका मतलब समझाया। बताया कि मेरा क्या, मुझे क्या, यदि आप ऐसा सोचते हुए काम करेंगे, तो ये खराब स्थिति होगी। ये सोच होनी ही नहीं चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अफसरों को ये भी समझाया कि वो पोस्टिंग के चक्करों में ना फंसें। भुज का उदाहरण दिया। कहा कि भुज की पोस्टिंग को खराब माना जाता था, लेकिन एक अफसर ने वहां इतना बेहतर काम किया कि पोस्टिंग के मायने ही बदल गए।