
कोलकाता, 27 फरवरी । कोलकाता के ईएम बायपास पर 19 फरवरी को हुए कार हादसे (टेंगरा हत्याकांड) में जीवित बचे 14 वर्षीय प्रतिप डे ने सनसनीखेज दावा किया है कि उसकी मां सुदेशना और मौसी रोमी की हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने पारिवार के सामूहिक आत्महत्या की योजना से पीछे हटने का फैसला किया था।
प्रतिप ने पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) की सलाहकार अनन्या चक्रवर्ती को बताया कि उसके पिता प्रणय डे और चाचा प्रसून डे ने पहले 17 फरवरी को जहर मिलाई ‘खीर’ का सेवन कर जान देने की कोशिश की थी। जब यह तरीका विफल रहा, तो उन्होंने चार मंजिला घर की छत से कूदकर आत्महत्या करने की योजना बनाई। हालांकि, सुदेशना और रोमी ने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद प्रतिप के अनुसार, उनकी हत्या कर दी गई।
प्रतिप ने यह भी आरोप लगाया कि उसके चाचा ने उसके पिता के आदेश पर उसे तकिए से दम घोंटकर मारने की कोशिश की थी। लेकिन योग तकनीकों का उपयोग करते हुए उसने सांस रोक ली और मरे होने का नाटक किया। जब उसके चाचा ने उसकी स्थिति जांचने के लिए तकिया हटाया और कोई हलचल नहीं देखी, तो उन्होंने यह मान लिया कि वह मर चुका है और कमरे से चले गए।
मृत्यु के मुंह से बाहर निकलकर प्रतिप ने अपनी चचेरी बहन प्रियमवदा का शव देखा, जिसके मुंह से झाग निकल रहा था। ऐसा माना जा रहा है कि वह जहर मिले खीर की अकेली शिकार बनी। इसके अलावा, उसने अपनी मां और मौसी को भी मृत अवस्था में पाया।
बाद में, प्रतिप ने देखा कि उसके पिता और चाचा आत्महत्या की तैयारी कर रहे थे और वे उसे भी अपने साथ ले जाना चाहते थे। अनन्या चक्रवर्ती के अनुसार, जब उससे पूछा गया कि वह आत्महत्या के लिए क्यों तैयार था, तो उसने कहा, “जब मेरे सभी प्रियजन चले गए, तो जीने का क्या मतलब था?”
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलासा : सुसाइड नहीं, हत्या
इस बीच, लालबाजार पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली है, जो प्रसून के उस दावे का खंडन करती है कि सुदेशना और रोमी ने आत्महत्या की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, उनके हाथों पर मौजूद कट खुद से लगाए हुए नहीं थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह किसी और ने किया था।” अब पुलिस बचे हुए लोगों के बयानों में मौजूद विरोधाभासों का विश्लेषण कर इस भयावह घटना की सच्चाई को उजागर करने में जुटी है।
प्रतिप के लिए यह हादसा जीवन को पूरी तरह बदल देने वाला है। 17 फरवरी तक वह अपने अंतिम परीक्षाओं की तैयारी में जुटा था, लेकिन अब वह एनआरएस अस्पताल में भर्ती है और उसका भविष्य अनिश्चितता में लटका हुआ है।
इस त्रासदी के दौरान एक रिश्तेदार ने उसकी कलाई काटने की भी कोशिश की थी, जिससे उसकी जान को और खतरा था।
पुलिस के लिए यह मामला बेहद पेचीदा साबित हो रहा है। कानूनी अड़चनों और व्यावहारिक चुनौतियों के चलते प्रतिप के पुनर्वास को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है। रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में अब तक कोई रिश्तेदार उससे मिलने नहीं आया है।
पहले अधिकारियों ने उसे उसके एक चाचा के पास भेजने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें कोई प्रगति नहीं हुई। लालबाजार पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अब तक उसे किसी शेल्टर होम में भेजने की कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
एक अधिकारी ने बताया, “एक बार जब उसके पिता प्रणय और चाचा प्रसून पूरी तरह ठीक हो जाएंगे, तब हम उसकी स्थिति का आकलन करेंगे। उनकी गिरफ्तारी के बाद हमें तुरंत प्रतिप के लिए उपयुक्त आश्रय की व्यवस्था करनी होगी।”