
कोलकाता, 11 अगस्त। दीवार से पीठ लग चुकी है। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से घिरी ममता बनर्जी के पास अब एकमात्र सहारा है— बंगालियों पर अत्याचार की मनगढ़ंत कहानियां गढ़ना। लेकिन इससे भी कुछ हासिल नहीं हो रहा, क्योंकि पश्चिम बंगाल के हिंदू लोग एक फोन कॉल से अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का हाल जान लेते हैं और पता चलता है कि वे सकुशल हैं। सोमवार को यह टिप्पणी पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर की।
उन्होंने लिखा, “भारतीय बंगाली मुसलमानों में थोड़ी-बहुत ऐसी प्रवृत्ति होगी ही, क्योंकि उनका बांग्लादेशी घुसपैठियों से बहुत कम अंतर है। मुसलमानों पर अत्याचार की कहानियां सुनाकर कोई फायदा नहीं, क्योंकि उनका वोट तो ममता को मिलेगा ही। बल्कि वे नाराज़ भी हो सकते हैं कि सर्वशक्तिमान ममता कुछ कर नहीं पा रही हैं। इसी कारण मैंने उन्हें सलाह दी थी कि इन घुसपैठियों को पकड़वाइए।”
तथागत रॉय ने अपने पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने ऐलान किया था— “हम बंगाली नहीं, हम बांग्लादेशी हैं। बंगालियों को सीमा के उस पार ही रहना चाहिए।” इसके बाद उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अब भारत के हिंदू (नाम मात्र के) मौलाना-तलवारधारी यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे ‘बांग्ला पहचान’ के बारे में इनसे ज़्यादा जानते हैं।
एक अन्य पोस्ट में तथागत राय ने प्रश्न किया कि क्या बांग्लादेश के बहुसंख्यक मुसलमान वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ जैसा व्यवहार कर रहे हैं, वैसा ही व्यवहार पश्चिम के बहुसंख्या हिन्दुओं को यहां के अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ करना चाहिए। उन्होंने पूछा, “मैं एक साधारण प्रश्न का सरल उत्तर चाहता हूं। पूर्व बंगाल में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ बहुसंख्यक मुसलमानों द्वारा जो व्यवहार किया गया, वही व्यवहार पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ बहुसंख्यक हिंदुओं द्वारा किया जाना चाहिए! सही या गलत?”