कोलकाता, 28 जनवरी। बचपन में अपनी मां के कपड़े की चोरी छुपे सिलाई करने वाली तकदीरा बेगम को तब नहीं पता था कि एक दिन यही शौक उन्हें वैश्विक पहचान दिलाएगा। बीरभूम जिले के बोलपुर की कांथास्टिच कलाकार तकदीरा बेगम पद्मश्री मिलने से बेहद खुश हैं।

पूर्व बर्धमान जिले के जयकृष्णपुर गांव में जन्मीं तकदीरा ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। बचपन से उनका जीवन अभावों में गुजरा। स्थानीय स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद आगे नहीं पढ़ पाईं। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही सिलाई कढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ती रही। शादी के बाद बोलपुर के मदरसा पाड़ा चली आईं। फिलहाल तकदीरा वहीं रहती हैं।

सिलाई-कढ़ाई को अपना जुनून बना चुकीं तकदीरा ने कांथास्टिच को ही अपना पेशा बनाने का फैसला किया। काफी छोटे स्तर पर काम शुरू हुआ लेकिन जल्द ही उनके कला कौशल की चर्चा होने लगी जो देखते ही देखते एक जिले से दूसरे जिले और फिर एक राज्य से दूसरे राज्य तक फैलने लगी। आज आलम यह है कि देश के अलग-अलग जगहों से उनके पास काम के आर्डर आते हैं यहां तक कि दुबई, कतर, अमेरिका तक उनके काम की ख्याति पहुंच चुकी है। हालांकि अपने काम को इस ऊंचाई तक पहुंचने में तकदीरा बेगम को केंद्र सरकार की ओर से भरपूर मदद मिलती रही है।