हर्बल गुलाल से खेलें होली

उदयपुर, 25 मार्च। सिंथेटिक गुलाल में उपस्थित विषैले रसायनिक तत्व मिट्टी, पानी व मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। ऐसी गुलाल को जल स्रोतों में जाने से रोकना चाहिए। यह आग्रह रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किया गया।

संवाद में विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने आगाह किया कि सिंथेटिक गुलाल में कॉपर, मर्करी, क्रोमियम, लेड, कोबाल्ट, एल्यूमीनियम सहित कई रसायन होते हैं। जल स्रोतों में प्रवेश करने पर ये जल को जहरीला बनाते है। इनकी अल्प मात्रा भी जलीय पर्यावरण तंत्र व मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पंहुचाती है।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों, तालाबों व अन्य जल स्रोतों के समीप की बस्तियों के नागरिकों सहित सभी को हर्बल गुलाल ही काम में लेनी चाहिए ताकि जल स्रोतों को नुकसान नहीं पहुंचे।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि होली खेलने के बाद सीधे झील तालाब में जाकर नहाना व रंग भरे कपड़े धोना जलीय तंत्र के लिए घातक है। इससे बचना चाहिए।

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि उल्लास के इस पर्व पर हम झीलों व जलीय झीलों के उल्लास को नष्ट नही करें।

संवाद से पूर्व अमरकुंड पर श्रमदान कर झील सतह से कचरे व गंदगी को हटाया गया। श्रमदान में मौली मेहता, अनुराग सहित स्थानीय नागरिकों ने भी सहभागिता की।