कोलकाता, 22 अगस्त। आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में चल रहे विवाद के बाद राज्य सरकार ने सभी प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण की मांग को मान लिया है। इसके तहत अस्पताल के प्राचार्य, अधीक्षक, सहायक अधीक्षक और चेस्ट मेडिसिन विभाग के प्रमुख को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके साथ ही, पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पद से भी हटा दिया गया है। बुधवार देर रात इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है।
बुधवार को आर.जी. कर के आंदोलनकारी डॉक्टरों ने सॉल्टलेक स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला था और वहां अपनी मांगों को रखा था। इन मांगों में आर.जी. कर के वर्तमान प्राचार्य सुहृता पाल, अधीक्षक बुलबुल मुखर्जी और अन्य अधिकारियों को पद से हटाने की मांग प्रमुख थी। आंदोलनकारियों ने संदीप घोष को भविष्य में किसी भी प्रशासनिक पद पर नहीं बैठाने की भी मांग की थी।
स्वास्थ्य से लौटने के बाद छात्रों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक बहुत संतोषजनक नहीं थी और आंदोलन जारी रहेगा क्योंकि अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
इसके बाद स्वास्थ्य भवन ने बुधवार रात को इन सभी मांगों को मान लिया और संबंधित अधिकारियों के स्थानांतरण का निर्णय लिया। हालांकि, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने अभी भी अपने धरने को जारी रखने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे धरने से पीछे नहीं हटेंगे। एक आंदोलनकारी छात्र, मोहम्मद अहमद लश्कर ने गुरुवार को कहा, “हमारी मांग है कि संदीप घोष को भविष्य में किसी भी प्रशासनिक कार्य में नियुक्त नहीं किया जाए। जब तक यह सुनिश्चित नहीं होता, हम अपनी हड़ताल जारी रखेंगे।”
आर.जी. कर में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद संदीप घोष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने उन्हें नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पद पर नियुक्त किया था, जिससे व्यापक आक्रोश उत्पन्न हुआ। यहां तक कि कलकत्ता हाई कोर्ट में भी इस मामले को लेकर उन्हें कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें छुट्टी पर भेजा गया था। अब आंदोलनकारियों के दबाव के चलते उन्हें इस पद से भी हटा दिया गया है।
स्वास्थ्य भवन द्वारा जारी की गई नई सूचनाओं के अनुसार, अस्पताल के चार प्रमुख अधिकारियों को भी पद से हटा दिया गया है और उनके स्थान पर नए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनके सभी शर्तें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी।