
रांची, 01 मई । आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर के संदिग्ध अम्मार यसार को धनबाद से गिरफ्तार किया है। उसके मोबाइल फोन से प्रतिबंधित संगठन से संबंधित कई दस्तावेज मिले हैं। वह पूर्व में प्रतिबंधित संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था, जिसकी वजह से वर्ष 2014 में जोधपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। करीब 10 वर्षों तक जेल में रहने के बाद मई 2024 में जमानत पर जेल से बाहर आया और धनबाद के अपने साथी अयान जावेद और अन्य अभियुक्तों के जरिये हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़ा।
पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने बताया कि धनबाद से जुड़े केस में पांचवें संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है, जिसका नाम अम्मार यसार है। वह हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़कर राष्ट्र विरोधी कार्यों में लिप्त था। अम्मार याशर को पूर्व में गिरफ्तार अयान जावेद की निशानदेही पर पकड़ा गया है।
इससे पूर्व 26 अप्रैल को एटीएस टीम ने धनबाद के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर गुलफाम हसन (21 वर्ष), भूली के आजाद नगर स्थित अमन सोसायटी से आयान जावेद (21 वर्ष), शमशेर नगर गली नंबर-3 से उसकी पत्नी शबनम परवीन (20 वर्ष) और मोहम्मद शहजाद आलम (20 वर्ष) को गिरफ्तार किया था। इन आरोपितों के पास से दो पिस्टल, 12 जिंदा कारतूस, प्रतिबंधित संगठन से संबंधित कई किताबें और दस्तावेज के साथ आधा दर्जन से अधिक मोबाइल सेट और लैपटॉप बरामद किए गए थे।
न्यायिक हिरासत में चारों आरोपित
पूर्व में गिरफ्तार चारों आपोपितों को एटीएस ने 27 अप्रैल को केस दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बाद में 30 अप्रैल को अभियुक्त गुलफाम हसन, अयान जावेद, मोहम्मद शहजाद आलम और शबनम प्रवीण को पुलिस रिमांड पर लेकर विस्तृत पूछताछ की जिसमें अयान जावेद ने बताया गया कि धनबाद का रहने वाला अम्मार याशर (33) भी इन लोगों के साथ प्रतिबंधित हिज्ब-उत-तहरीर संगठन से जुड़ा है।
उल्लेखनीय है कि आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर का गठन 1953 में यरुशलम में हुआ था। इस संगठन का मकसद विश्व में खलीफा यानी इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना है। साल 2010 में भारत सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथी समूह हिज्ब-उत-तहरीर पर प्रतिबंध लगा दिया। संगठन आतंकी गतिविधियों के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ कर भारत सहित दुनिया भर में इस्लामी राष्ट्र और खिलाफत स्थापित करने की मंशा से काम करता है।