कोलकाता, 21 अगस्त। 11 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सुंदरबन टाइगर रिज़र्व (एसटीआर) को बड़ा तोहफ़ा मिला है। नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ ने इसकी सीमा विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे सुंदरबन देश का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व बनने जा रहा है।

अब तक सुंदरबन का टाइगर रिज़र्व क्षेत्र दो हजार 585 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था, जिसे 1,044 वर्ग किलोमीटर बढ़ाकर तीन हजार 629 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया है। इस विस्तार के बाद पूरे देश में इससे बड़ा केवल आंध्र प्रदेश का नागार्जुन सागर–श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व (तीन हजार 727 वर्ग किमी) ही रहेगा।

नए फैसले के तहत दक्षिण 24 परगना वन प्रभाग के तीन रेंज—रायदीघी, रामगंगा और मातला—को सुंदरबन टाइगर रिज़र्व में शामिल किया जाएगा। अब तक रिज़र्व में केवल चार रेंज (राष्ट्रीय उद्यान–पूर्व, राष्ट्रीय उद्यान–पश्चिम, सजनखाली और बसीरहाट) शामिल थे। नए जोड़े गए 1,044 वर्ग किमी का क्षेत्र “बफर ज़ोन” घोषित होगा।

इन तीन रेंजों के जंगलों में पहले से मौजूद बाघों को मिलाकर सुंदरबन में बाघों की संख्या 101 पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस विस्तार से बाघ संरक्षण के लिए वैज्ञानिक प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा और वनकर्मियों को भी बेहतर संसाधन और सुविधाएं मिलेंगी।

सुंदरबन विस्तार का पहला प्रस्ताव 2014 में दिया गया था। 2023 में राज्य वाइल्डलाइफ बोर्ड ने इसे मंजूरी दी, जिसके बाद राज्य सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने भी सहमति दी। अंतिम मुहर नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ की बैठक में लगी।

राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार रात बताया है कि बोर्ड की मंजूरी के बाद अब राज्य सरकार यह तय करेगी कि नये क्षेत्र में कितना हिस्सा कोर ज़ोन और कितना बफर ज़ोन होगा। इसके बाद अधिसूचना जारी कर सुंदरबन टाइगर रिज़र्व आधिकारिक रूप से नए स्वरूप में सामने आएगा।

——-

वनकर्मियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ

नए रेंज जुड़ने से वनकर्मियों को अब विशेष प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक, और कानूनों की जानकारी दी जाएगी। उन्हें जोखिम भत्ता भी मिलेगा, जैसा कि देश के अन्य टाइगर रिज़र्व के कर्मचारियों को मिलता है।

विस्तार से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी और ‘टाइगर रिज़र्व फाउंडेशन’ के माध्यम से निजी सहायता उपलब्ध होगी, जिससे पर्यटन उद्योग के विकास को नई गति मिल सकती है।

सुंदरबन के पूर्व फील्ड डायरेक्टर सौमित्र दासगुप्ता ने कहा कि जब तीनों रेंज क्रिटिकल टाइगर हैबिटैट का हिस्सा बनेंगे, तब बाघ और अन्य जीव-जंतुओं के संरक्षण में बड़े बदलाव आएंगे। साथ ही वनकर्मियों को अब बराबरी के अवसर मिलेंगे।

पूर्व प्रधान वन अधिकारी प्रदीप व्यास ने इसे “बाघ संरक्षण का स्वप्न पूरा होने” जैसा बताया और कहा कि यह अवसर सुंदरबन को आगे बढ़ाने का है।

वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ जयदीप कुंडू ने चेताया कि अब सुंदरबन के सभी बाघ राष्ट्रीय संरक्षण प्रोटोकॉल के तहत आएंगे। इसलिए संरक्षण कार्य सही ढंग से हो, यह सुनिश्चित करना राज्य और केंद्र दोनों की बड़ी जिम्मेदारी होगी।