
कोलकाता, 05 मार्च । पिछले कई दिनों से छात्र आंदोलन के कारण पश्चिम बंगाल का जादवपुर विश्वविद्यालय अशांत बना हुआ है। पठन-पाठन पूरी तरह से बाधित है। कुलपति भास्कर गुप्ता विश्वविद्यालय जाने में असमर्थ हैं और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसी स्थिति को सामान्य करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें अदालत से हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
बुधवार को इस मामले की त्वरित सुनवाई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम ने साफ कहा कि यह कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और इसे संभालने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय का अपना कानून है और राज्य सरकार के पास अपनी शक्ति है। राज्य सरकार को कदम उठाने दीजिए। हम यहां यह बताने के लिए नहीं बैठे हैं कि किसके पास क्या अधिकार हैं।”
मुख्य न्यायाधीश ने विश्वविद्यालय में जारी गतिरोध पर चिंता जताई, लेकिन इसे आंतरिक मामला बताते हुए अदालत से तुरंत दखल देने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही त्वरित सुनवाई की अर्जी को भी खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूत्रों के अनुसार इस मामले पर अगली सुनवाई गुरुवार को हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि गत शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर में वेबकूपा की वार्षिक सभा के दौरान भारी हंगामा हुआ था। इस दौरान प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की गाड़ी में तोड़फोड़ की गई और वह घायल हो गए। इस घटना में दो वामपंथी छात्र नेता भी जख्मी हुए थे। तभी से विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी तरह ठप है और माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अर्क नाग ने कोर्ट को बताया कि में कुलपति तक विश्वविद्यालय नहीं जा पा रहे हैं और छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है।