
कोलकाता, 30 जून ।
साउथ कोलकाता के कसबा लॉ कॉलेज में एक छात्रा से गैंगरेप के बाद कॉलेज को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इस पूरे मामले में कॉलेज की उप-प्राचार्य नयना चट्टोपाध्याय और संचालन समिति के अध्यक्ष अशोक देव की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मानवाधिकार संगठन एपीडीआर ने उनके तत्काल निलंबन, इस्तीफे और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
एपीडीआर के महासचिव रंजीत सूर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कॉलेज परिसर में जब इतना गंभीर आपराधिक कृत्य घटित हुआ है, तब यह समझ से परे है कि अब तक उप-प्राचार्य को उनके पद से नहीं हटाया गया। संगठन ने स्पष्ट किया कि नयना चट्टोपाध्याय को पद पर रखते हुए कॉलेज से जुड़े किसी भी तरह के कुकर्म की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। यही बात संचालन समिति के अध्यक्ष अशोक देव पर भी लागू होती है।
प्रेस विज्ञप्ति में यह भी आरोप लगाया गया कि उप-प्राचार्य और संचालन समिति के अध्यक्ष यदि अपराधियों से किसी प्रकार का साठगांठ न रखते, तो इस तरह की जघन्य घटना कॉलेज के भीतर घटित नहीं हो सकती थी। एपीडीआर का मानना है कि घटना के पीछे गहरी मिलीभगत हो सकती है, और इसके लिए सिर्फ अपराधियों को ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक पदों पर बैठे जिम्मेदार लोगों को भी जवाबदेह ठहराना होगा।
एपीडीआर ने राज्य सरकार और कॉलेज प्रशासन से मांग की है कि नयना चट्टोपाध्याय को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाए, और उनके साथ-साथ अशोक देव के कार्यों की पूरी जांच कर, दोष सिद्ध होने पर उन्हें भी कठोर सजा दी जाए।