कोलकाता, 8 फरवरी। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गांगुली ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रभावशाली लोग किसी दिन मुझे भी पद से हटा सकते हैं। उन्होंने एक कंपनी के निदेशक के खिलाफ जांच का आदेश दिया। सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी वे कंपनी की आय, खर्च और यहां तक कि काम के प्रकार के बारे में कोर्ट को नहीं बता पाए। इसके बाद न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने दो कंपनियों के ऐसे पांच निदेशकों के खिलाफ ईडी जांच का आदेश दिया। केंद्रीय
एजेंसी को उन पांच निदेशकों से गुरुवार को ही पूछताछ करने को कहा गया है। न्यायाधीश ने ईडी के अलावा गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के अधिकारियों को भी घटना की जांच करने को कहा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह रात 10 बजे तक कोर्ट में रहेंगे।
कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने डेल्टा लिमिटेड और ओलिसा रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड नामक दो कंपनियों के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया है। उनकी शिकायत है कि संगठन उन्हें उनका उचित भविष्य निधि नहीं दे रहा है। न्यायमूर्ति गांगुली ने उस मामले में दोनों कंपनियों के पांच निदेशकों को तलब किया। वे गुरुवार को कोर्ट में पेश हुए। जज ने उनकी कंपनी के बारे में कुछ सवाल पूछे लेकिन वे किसी भी सवाल का ठीक से जवाब नहीं दे सके।
न्यायाधीश ने पांचों निदेशकों को पूछताछ के लिए उच्च न्यायालय के शेरिफ के कार्यालय में ले जाने का आदेश दिया। उन्होंने यह भी कहा, ”ऐसा लगता है कि इन पांचों लोगों ने अभी तक कोई अपराध नहीं किया है लेकिन पूछताछ जरूरी है। शायद उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। कोई उन्हें आगे रखकर उनके पीछे काम कर रहा है। वे चाहें तो इस्तीफा दे सकते हैं।” लेकिन जज ने यह भी कहा कि अब पांचों लोगों को गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है। शेरिफ के प्रतिनिधि को उनके निर्देशों के अनुसार यह सुनिश्चित करना है कि पांच निदेशकों का अपमान न हो। इसके बाद जज ने कहा कि प्रभावशाली लोगों का क्या ही कहना, कुछ भी करवा सकते हैं। मेरा भी ट्रांसफर हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।