काठमांडू, 27 दिसम्बर। खुद को ईसाई धर्म के प्रचारक के रूप में पेश करते हुए विवादित बयान देने वाले नेपाल के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुदन किरांती का सामाजिक बहिष्कार शुरू हो गया है। उनके विवादित बयान की वजह से जिन कार्यक्रमों में उनको प्रमुख अतिथि के रूप में बुलाया गया था, वहां उनका बहिष्कार करना शुरू कर दिया गया है।

चितवन में होने वाले सलाना पर्यटन महोत्सव में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुदन किरांती को प्रमुख अतिथि के रूप में बुलाया गया था। पूरे शहर में लगे पोस्टर बैनर में उनकी तस्वीरों के साथ प्रचार-प्रसार किया जा रहा था। सभी निमंत्रण पत्र पर भी प्रमुख अतिथि के रूप में संस्कृति तथा पर्यटन मंत्री सुदन किरांती के महोत्सव के उद्घाटन करने की जानकारी दी गई थी, लेकिन उनके विवादित बयान के कारण आयोजकों ने मंत्री को कार्यक्रम में नहीं आने को कह दिया।

चितवन के पर्यटक स्थल सौराहा में क्षेत्रीय होटल एसोसिएशन की तरफ से 17वें चितवन पर्यटन एवं हाथी महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर किरांती की जगह वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत मंच पर उपस्थित थे। प्रमुख अतिथि के रूप में वित्त मंत्री ने ही महोत्सव का उद्घाटन भी किया।

क्षेत्रीय होटल एसोसिएशन के सचिव मुक्ति शर्मा ने बताया कि मंत्री के विवादास्पद बयान और उससे उत्पन्न परिस्थिति के कारण उन्हें कार्यक्रम में आने से रोका गया। उन्होंने कहा कि यदि विवादित मंत्री को कार्यक्रम में बुलाया जाता तो यहां तनावपूर्ण स्थिति बन सकती थी। स्थानीय लोगों ने आयोजकों से कहा था कि यदि विवादित मंत्री को बुलाया जाता है तो वो ना सिर्फ मंत्री को काला झंडा दिखाएंगे, बल्कि किसी भी हालत में कार्यक्रम नहीं होने देंगे। तनावपूर्ण अवस्था को देखते हुए आयोजकों ने अंतिम समय में सुदन किरांती की जगह वित्त मंत्री महत को बुलाना ही ठीक समझा गया।

दरअसल, संस्कृति मंत्री सुदन किरांती ने पिछले हफ्ते ईसाईयों के एक कार्यक्रम में कहा था कि नेपाल में क्रिश्चियन मानने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। नेपाल में क्रिश्चियन को नहीं मानना संविधान को नहीं मानने जैसा है और जो लोग क्रिश्चियन को नहीं मानेंगे, उन्हें हथकड़ी लगा कर जेल में डाल देना चाहिए। उनके इस विवादित बयान पर देश भर में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। विभिन्न संघ संस्थाओं और राजनीतिक दलों ने ऐसे विवादित बयान देने वाले मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।