
कोलकाता, 15 जून। कोलकाता का ऐतिहासिक आशुतोष बर्थ सेन्टूनरी हॉल रविवार की शाम देशभक्ति, ओज और भावनाओं की त्रिवेणी में सराबोर रहा। साहित्यिक-सामाजिक संस्था परिवार मिलन द्वारा आयोजित “सिंदूराभिनंदन” में देशभर से आए प्रतिष्ठित कवियों ने अपने ओजस्वी और भावप्रवण काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हॉल खचाखच भरा था। एक ओर आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे, तो दूसरी ओर मंच पर काव्य-जगत के सितारे अपनी रचनाओं से रोशनी फैला रहे थे। हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट, “भारत माता की जय” के नारों और भावविह्वल चेहरों ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह कोई साधारण काव्य संध्या नहीं थी — यह राष्ट्रभक्ति का सजीव उत्सव था।
मंच पर ओज की गूंज, शब्दों से हुआ शौर्य का संचार
श्री योगेन्द्र शर्मा (भीलवाड़ा) ने वीर रस की ऊंची लहरों से मंच को झकझोर दिया।
“माँ भारती का मान जगाने आया हूं…” और “अगर सियासी रंग न होता तो संविधान का अपमान न होता…” जैसी पंक्तियों पर सभागार देर तक गूंजता रहा। उन्होंने पराक्रम, न्याय और राष्ट्रीय चेतना का अद्भुत स्वर दिया। डा. रुचि चतुर्वेदी (आगरा) ने नारीत्व और वीरांगनाओं के अद्भुत भावों को अपनी कविताओं में जीवंत किया। “शौर्य पराक्रम संबल बना इसका सर…” और
“तेरे प्रेम को ओढ़ चुनरिया…” जैसी रचनाओं में एक सैनिक की पत्नी की व्यथा, प्रतीक्षा और गर्व का ऐसा चित्रण किया कि श्रोता भावविभोर हो उठे। डा. राहुल अवस्थी (बरेली) की कविता “ज़िंदगी जीना आसान नहीं होता…” में संघर्ष और साधना का जीवन-दर्शन था, जो सीधे दिलों में उतरता गया। उनके शब्दों ने न केवल प्रेरित किया, बल्कि आत्मबल को जाग्रत भी किया।
साहित्यिक श्रद्धांजलि और राष्ट्र की आरती
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने श्रद्धांजलि स्वरूप कहा —
“जिनकी कुर्बानी वतन की आरती से कम नहीं, उनकी माता भी किसी देवी सती से कम नहीं।”
यह भावनात्मक क्षण हर हृदय को देश की मिट्टी से जोड़ गया। परिवार मिलन संस्था के अध्यक्ष श्री अरुण चूड़ीवाल ने संवाददाताओं से कहा, “साहित्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का सशक्त साधन भी है। ‘सिंदूराभिनंदन’ इसी उद्देश्य का एक सजीव साक्ष्य है।” कार्यक्रम का संचालन दुर्गा व्यास द्वारा किया गया और राजेन्द्र कानूनगो ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। यह काव्योत्सव एक सांस्कृतिक संग्राम बन गया – जहां न केवल वीरता और प्रेम की आराधना हुई, बल्कि शब्दों ने सपूतों की शहादत को ससम्मान सलाम भी किया।
“सिंदूराभिनंदन” अब केवल एक आयोजन नहीं, एक साहित्यिक आंदोलन बन चुका है — जो शब्दों से राष्ट्र को सींचता है।
कार्यक्रम का आरम्भ में भारतमाता को पुष्पार्पण के पश्चात अहमदाबाद में हुई हृदयविदारक विमान दुर्घटना में दिवंगत हुए लोगों की आत्मा की शान्ति के एक मिनट का मौन रखा गया।
महानगर की विभिन्न संस्थाओं के कई पदाधिकारियों ,कवि-साहित्यकारों एवं विद्वज्जनों से खचाखच भरे सभागार में आदरणीय सरदारमल कांकरिया को सिंदूरी अंगवस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सभा को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का प्रबधन आनंद इवेंट के प्रदीप ढेडिया द्वारा किया गया।