
कोलकाता, 30 जुलाई । पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को राज्य में कार्यरत कुछ निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ईआरओ) के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। अधिकारी का आरोप है कि इन अधिकारियों ने बिना उचित जांच के फॉर्म-6 के जरिए बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के आवेदन स्वीकार किए हैं, जिससे मतदाता सूची की शुचिता खतरे में पड़ी है।
फॉर्म-6 का उपयोग मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए किया जाता है। अधिकारी ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल द्वारा जारी एक मेमो का हवाला देते हुए कहा कि हाल ही में किए गए सैंपल जांच में कई ईआरओ द्वारा संदेहास्पद आवेदनों को मंजूरी देने के मामले सामने आए हैं। अधिकारी ने इस पूरे प्रकरण को “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में भ्रष्टाचार की गहराई” बताया।
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि गड़बड़ियां दो स्तर पर हुई हैं —एक, बूथ लेवल ऑफिसरों (बीएलओ) पर दस्तावेजों में हेराफेरी का दबाव बनाया गया; और दूसरी, निर्वाचन अधिकारियों ने वोटर लिस्ट से जुड़ा काम ऐसे अनुबंधित कर्मचारियों को सौंप दिया जो न तो प्रशिक्षित थे और न ही अधिकृत।
उन्होंने इसे हर नागरिक के निष्पक्ष चुनाव में भागीदारी के अधिकार पर हमला बताया और मामले की तत्काल जांच तथा दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। अधिकारी ने यह भी सवाल उठाया कि संविदा पर नियुक्त राज्य सरकार के कर्मचारी मतदाता सूची से जुड़े दस्तावेजों की छंटनी के काम में क्यों लगे हुए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीएलओ ने अत्यधिक दबाव में दस्तावेज जुटाए और स्थायी सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद ईआरओ ने संविदाकर्मी को फॉर्म-6 के आवेदन निपटाने की अवैध अनुमति दी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले शुभेंदु अधिकारी ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर चेताया था कि बांग्लादेश सीमा से लगे पश्चिम बंगाल के जिलों में पिछले सप्ताह फॉर्म-6 के असामान्य रूप से अधिक आवेदन जमा हुए हैं। अधिकारी के अनुसार, आमतौर पर इन जिलों में 20 से 25 हजार आवेदन आते हैं, लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर लगभग 70 हजार तक पहुंच गई है।
उन्होंने जिन जिलों का उल्लेख किया उनमें कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया और उत्तर व दक्षिण 24 परगना शामिल हैं।