कोलकाता, 20 फरवरी । कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा संकटग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी मंगलवार को राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के हिंसाग्रस्त संदेशखाली पहुंचे। यहां उनके साथ भाजपा विधायक शंकर घोष भी थे।
पुलिस के एक दल के साथ उन्होंने इलाके में घूम-घूम कर महिलाओं से शिकायतें सुनी। उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि वह जमीन पर बैठकर महिलाओं से बात कर रहे हैं और बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं उनसे अपनी शिकायतें कर रही हैं। तृणमूल नेता शेख शाहजहां, उत्तम सरदार और शिबू हाजरा समेत पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ सैकड़ों शिकायतें महिलाओं ने की है।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यहां के लोग शाहजहां की फांसी चाहते हैं। वह बच नहीं सकता। अधिकारी ने कहा कि पुलिस यहां तृणमूल के अपराधियों के साथ मिलकर हर तरह के अपराध का संरक्षक बनी रही है। ममता बनर्जी एक गृह मंत्री के तौर पर पूरी तरह से फेल हैं, क्योंकि महिलाएं सालों से यहां प्रताड़ित होती रही हैं और उन्हीं के लोगों के हाथों।
पुलिस ने इससे पहले दिन में राज्य की विधानसभा में विपक्षी नेता अधिकारी को संकटग्रस्त क्षेत्र में जाने से रोक दिया था जहां निषेधाज्ञा लागू की गई है। पुलिस ने कहा कि सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए एक खंडपीठ में अपील की है। उच्च न्यायालय ने ही सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता को क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी थी। अधिकारी ने कहा कि उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने अब मुझे और मेरे साथी भाजपा विधायक शंकर घोष को संदेशखाली जाने की अनुमति दे दी है।
उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें धमाखाली नौका घाट तक ले गई जहां से उन्होंने संदेशखाली पहुंचने के लिए नाव से कालिंदी नदी को पार किया। संदेशखाली में महिलाओं सहित स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मंगलवार सुबह अधिकारी को संदेशखाली जाने की अनुमति दी। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसने अधिकारी और भाजपा के एक अन्य विधायक शंकर घोष को संदेशखाली जाने की अनुमति दी गई थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा के सोमवार को दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष एक अपील दायर की थी जिन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रशासन द्वारा संदेशखाली में लगाए गए पांच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर निषेधाज्ञा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी शामिल थे जिसने भाजपा नेता को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके लिए तैनात किए गए सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर कोई भी समर्थक या पार्टी से जुड़ा व्यक्ति उनके साथ न जाए।