कोलकाता, 22 सितम्बर। भगवान श्रीकृष्ण सच्चिदानंद हैं। श्रीमद्भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप हैं। यह कथा कल्याणकारी और उद्धारकारी है। भगवान श्रीकृष्ण कृपा से हमें श्रीमद्भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलता है। सत्य और प्रेम मार्ग से ही हम भगवानश्रीकृष्ण तक पहुंच सकते हैं। श्रीमद्भागवत कथा जीवन जीने की कला सिखाती हैं,त्याग करना सिखाती है। आदमी के त्याग की कीमत होती है।त्याग से जीवन सुन्दर बनता है।
वृंदावन में जब भक्ति के बेटे ज्ञान और वैराग्य बूढ़े हो गए तो भक्ति ने नारदजी से अपनी पीड़ा बताई। भक्ति को पीड़ा मुक्त करने के लिए नारद जी ने वेद , उपनिषद आदि कथाएं सुनाई, पर ज्ञान और वैराग्य बूढ़े ही रहे।जब नारद के आग्रह पर सनतकुमार ने श्रीमद्भागवत कथा सुनाई तब ज्ञान और वैराग्य जवान हो गए। भक्ति प्रसन्न होकर बोली ,मैं कहां रहूं?सनतकुमार ने कहा कि सबके हृदय में निवास करो।
जीवन में प्रभु की कृपा चाहिए तो भगवान के नाम का जप बढ़ाएं।ईश्वर की इच्छा में अपनी इच्छा को जोड़ दीजिए और आनंद का अनुभव कीजिए। ईश्वर और संत किसी को दुख नहीं देते अपितु सब पर कृपा करते हैं। संत दीपक की तरह जलकर जगत में प्रकाश फैलाते हैं। संत का फल है प्रभु-दर्शन और सत्संग।
आत्मदेव को जब संतान नहीं हुआ तो एक संत ने उन्हें फल दिया और कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला दो पर उसने नहीं खाया, गाय को खिला दिया। गाय से गोकर्ण का का जन्म हुआ। गोकर्ण ने जब अपने भाई धुंधुकारी को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई तो वह प्रेत योनि से मुक्त हो गया।
श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से ज्ञान, भक्ति,वैराग्य और मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है। यह जीवन को उन्नत बनाने वाली यह कथा है।ये बातें राजस्थान गौ कल्याण ट्रस्ट के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए आचार्य श्रीकांत शर्मा’बालव्यास ने 4शार्ट स्ट्रीट स्थित राजेश सभागार में कहीं। उन्होंने कहा कि 51 वर्षों से कथा सुना रहा हूँ, चाहता हूँ कि मैं नंदबाबा बनकर गाय माता की सेवा करता रहूं।अब तक गोपाल की कृपा से अब तक एक लाख गायों को बचा सकूं। ट्रस्टी मुरारीलाल दीवान ने बताया कि यह श्रीमद्भागवत कथा सुरभि सदन गौशाला के निर्माण, विकास और संचालन हेतु आयोजित की गई है।आज के यजमान वर्तिका-रौनक अजय केडिया ने व्यासपूजन किया।कथा को सफल बनाने में ट्रस्टीगण मुरारीलाल दीवान, चम्पालाल सरावगी,बनवारीलाल सोती,सत्यनारायण देवरालिया, बृजमोहन गाड़ोदिया, बालकिसन बालासरिया,विश्वनाथ सेकसरिया, प्रेमचंद ढांढनिया, कृष्ण कुमार छापड़िया,राजेन्द्र प्रसाद बुबना,बालकिसन नेवटिया,राजेश मित्तल ,अरुण केडिया व स्वागत समिति के सदस्य शारदा बाई छापड़िया, शकुंतला दीवान, नीलम नेवटिया,सरिता अग्रवाल, रेनु मस्करा,प्रकाश केडिया,रामस्वरूप गोयनका सहित अन्य सक्रिय रहे।कार्यक्रम संचालन संजय मस्करा ने किया।इस अवसर पर गौरीशंकर धानुका,श्रीराम चौधरी,विनय मस्करा, महावीर प्रसाद रावत, रामकथा वाचक पुरुषोत्तम तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।