
– अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने मार्च निकाला
ढाका, 21 मार्च । बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक और नवगठित नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक (दक्षिण) हसनत अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि अवामी लीग की सत्ता में वापसी हमारी लाशों पर होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि मुल्क का सैन्य नेतृत्व शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की वापसी चाहता है। इस पर विरोध जताते हुए ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह ने शुक्रवार सुबह परिसर में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए मार्च निकाला।
ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार हसनत अब्दुल्ला ने इस संबंध में गुरुवार देर रात फेसबुक पर एक धमाकेदार पोस्ट की, जो तेजी से वायरल हो गई। अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भारत के मार्गदर्शन में अपदस्थ अवामी लीग को फिर से स्थापित करने की साजिश रची जा रही है। इस पोस्ट में हसनत ने 11 मार्च को दोपहर 2ः30 बजे कैंटोनमेंट में हुई एक अहम बैठक का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि इस बैठक में वह और एनसीपी के दो अन्य नेता शामिल थे। उनके सामने सैन्य नेतृत्व ने अवामी लीग को मुख्यधारा की राजनीति में वापस लाने के लिए उनके सामने एक प्रस्ताव रखा।
हसनत ने कहा कि सैन्य नेतृत्व ने कहा कि अगले चुनाव में सीटों के बंटवारे पर बातचीत के बदले में उन्हें यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेना चाहिए। सैन्य नेतृत्व ने कहा कि यह प्रस्ताव कई राजनीतिक दलों के सामने रखा चुका है। यह दल कुछ शर्तों के साथ अवामी लीग के पुनर्वास के लिए सहमत हो गए है। सैन्य नेतृत्व ने उनसे कहा कि कुछ दिनों में आप देखेंगे कि मीडिया में कई राजनेता अवामी लीग के पक्ष में बोल रहे होंगे।
हसनत अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भारत चाहता है कि पूर्व सांसद सबर हुसैन चौधरी, पूर्व स्पीकर शिरीन शर्मिन चौधरी और ढाका दक्षिण के पूर्व मेयर फजले नूर तपोश को अवामी लीग के नए चेहरे के तौर पर स्थापित किया जाए। विद्रोही नेता ने कहा कि बैठक में उन्हें बताया गया कि चौधरी, शिरीन और तपोश अप्रैल-मई से शेख हसीना परिवार के अपराधों को स्वीकार करना शुरू कर देंगे। यह नेता जनता के सामने बंगबंधु की अवामी लीग को फिर से स्थापित करने का वादा करेंगे।
हसनत ने कहा कि उन्होंने सैन्य नेतृत्व के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और यह भी साफ कर दिया कि अवामी लीग की वापसी आंदोलनकारियों की लाशों पर ही संभव है। इस पर सैन्य नेतृत्व ने उन्हें चेताया कि अवामी लीग के बिना कोई समावेशी चुनाव नहीं हो सकता है। हसनत ने कहा कि पिछले साल जुलाई-अगस्त के आंदोलन के दौरान सरकार से उन्हें समझौते कई प्रस्ताव मिले पर उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया। अगर कैंटोनमेंट इसके लिए दबाव डालता है तो वह दोबारा सड़कों पर उतरेंगे।
हसनत की पोस्ट पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह ने आज सुबह परिसर में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए मार्च निकाला। समूह ने दोपहर बाद राजू मूर्तिकला के सामने फिर से एकत्र होने की घोषणा की है। इस बीच, जमात-ए-इस्लामी प्रमुख डॉ. शफीकुर्रहमान ने सुबह अपने फेसबुक पेज पर हसनत के सुर में सुर मिलाते हुए लिखा है कि जनता अवामी लीग के पुनर्वास को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने तत्काल अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।