राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती पर पढ़ीं मनमोहक रचनाएँ
कोलकाता/हुगली। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की पश्चिम बंगाल प्रदेश इकाई द्वारा हिन्दी पखवाड़ा एवं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के अवसर पर मासिक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम असेंबली ऑफ लिटिल बड्स हाई स्कूल, हुगली के सभागार में सम्पन्न हुआ। आयोजन राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के मार्गदर्शन तथा प्रदेश अध्यक्ष, प्रसिद्ध ग़ज़लकार राम नाथ बेख़बर के नेतृत्व में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शंकर रावत ने की और संचालन स्वयं प्रदेश अध्यक्ष ने किया। बतौर मुख्य अतिथि डॉ. शाहिद फरोगी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अवधेश सिंह एवं हीरालाल साव मंचासीन रहे। रचनाकारों ने दिनकर जी की जीवनी और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
काव्य पाठ सत्र में राम नाथ बेख़बर, हीरालाल साव, राम पुकार सिंह, डॉ. शिव प्रकाश दास, ज्ञान प्रकाश पांडेय, संजीव दुबे, डॉ. शाहिद फरोगी, अर्चित यादव, रेणुका पासवान, शंकर रावत, अवधेश मिश्रा, कमलापति पांडेय निडर, रीना गिरी, डॉ. अवधेश सिंह, भागीरथी कुर्मी, चन्द्रभानु गुप्त, विष्णु दत्त उपाध्याय, रूपम महतो, निधि साव, शिवम तिवारी, रोहित साव, सुशांत मिश्रा समेत कई रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।
छात्र अर्चित यादव ने दिनकर जी की प्रसिद्ध रचना कृष्ण की चेतावनी का ओजपूर्ण पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं संजीव दुबे की पंक्तियाँ “अपनी-अपनी मंजिल सबकी, अपनी-अपनी चाल…”, राम नाथ बेख़बर की रचना “शाम का यह वक़्त प्यारा लग रहा है…” और ज्ञान प्रकाश पांडेय की ग़ज़ल “अब न वो लोग रहे टूट के मिलने वाले…” को खूब सराहना मिली।
राम पुकार सिंह ने हिन्दी भाषा की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए “हिन्दी भाषा प्यार की, सब भाषा की प्राण…” प्रस्तुत की। डॉ. शाहिद फरोगी की ग़ज़ल, भागीरथी कुर्मी की कविता “अब बेटियाँ बेटों की जगह लेने लगी हैं”, डॉ. शिव प्रकाश दास की रचना “शिक्षा के दुश्मनों पर गिरी कुछ ऐसी गाज…” तथा हीरालाल साव की पंक्तियाँ “हसरतें सारी की सारी क़ैद में…” भी खूब सराही गईं।
कवयित्री निधि की भावपूर्ण कविता “यूँ तो लिख दूँ अपने जीवन का सारा वृत्तांत…”, रीना गिरी की “ऑपरेशन सिंदूर”, और शंकर रावत की काव्यपंक्तियाँ “चाँद सितारे देखने के लिए हैं…” ने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
