चंडीगढ़, 7 जून । सीबीआई कोर्ट ने करीब तीन दशक पुराने फर्जी एनकांउटर मामले में पंजाब पुलिस के एक डीएसपी को उम्र कैद तो तत्कालीन डीआईजी को सात साल की सजा सुनाई है। अदालत ने गुरुवार को दोनों पूर्व अधिकारियों को दोषी करार दिया था, जिसके बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया है। सीबीआई कोर्ट का यह फैसला तब आया है, जब शिकायतकर्ता चमन लाल की मौत हो चुकी है।
वर्ष 1996 में जंडियाला रोड अमृतसर निवासी चमन लाल की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को तत्कालीन डीएसपी दिलबाग सिंह के नेतृत्व में तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे गुलशन को जबरन उठा ले गई। कुछ समय बाद उनके 2 बेटे प्रवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए।
पुलिस ने प्रवीन और बॉबी कुमार को तो छोड़ दिया लेकिन गुलशन को रिहा नहीं किया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में गुलशन की हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। पिता चमन लाल के अनुसार गुलशन कुमार फल विक्रेता थे। हाई कोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी।
सीबीआई जांच के दौरान 32 गवाहों का हवाला दिया गया लेकिन 15 ही लोगों की गवाही हुई। मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो चुकी है। सीबीआई के विधि अधिकारी अनमोल नारंग व शिकायतकर्ता के एडवोकेट सबरजीत सिंह वेरका ने एक निर्दोष सब्जी बेचने वाले की हत्या करने वालों को उम्रकैद की सजा मांगी थी। परिवार का कहना है कि गुलशन का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं था। इसके बावजूद उनके परिवार पर यह कलंक लगा। परिवार ने 30 साल से अधिक समय तक सहन किया। इस दौरान उनका घर पूरी तरह से बर्बाद हो गया।
आज मोहाली स्थित सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में पंजाब पुलिस के पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह को 7 साल की सजा और सेवानिवृत्त डीएसपी गुरबचन सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है।