कोलकाता, 23 अगस्त। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के विरोध में प्रदर्शन शुक्रवार को अस्पताल के संस्थापक राधा गोबिंद कर की 172वीं जयंती पर भी जारी रहे। इससे अस्‍पताल में सेवाएं लगातार 14वें दिन भी बाधित रहीं।

राधा गोबिंद कर ने भारत और एशिया के पहले गैर-सरकारी मेडिकल कॉलेज, ‘कलकत्ता स्कूल ऑफ मेडिसिन’ की स्थापना की थी, जिसे 1886 में ‘कलकत्ता मेडिकल स्कूल’ नाम दिया गया। बाद में, 1904 में इस संस्थान का नाम बदलकर ‘कलकत्ता मेडिकल स्कूल एंड कॉलेज ऑफ फिजीशियंस एंड सर्जन्स ऑफ बंगाल’ कर दिया गया। इस संस्थान का समय के साथ राज्य संचालित संस्था में रूपांतरण हुआ और 1918 में राधा गोबिंद कर के निधन के बाद इसे उनके नाम पर ‘आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल’ के नाम से जाना जाने लगा।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने देशभर में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने का आग्रह किया और यह आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, पश्चिम बंगाल के आर.जी. कर से जुड़े मेडिकल समुदाय के प्रदर्शनकारी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पीड़िता डॉक्टर को न्याय और दोषियों को सज़ा नहीं मिलती, तब तक वे विरोध से पीछे नहीं हटेंगे।

प्रदर्शनकारी प्रतिनिधियों में वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों के साथ मेडिकल छात्र भी शामिल हैं। इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया संदेश के माध्यम से संस्थापक की जयंती की याद दिलाई।

अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक संदेश में कहा कि मैं प्रसिद्ध डॉक्टर, समाज सुधारक और परोपकारी राधा गोबिंद कर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने 1886 में एक नया मेडिकल कॉलेज ‘कलकत्ता स्कूल ऑफ मेडिसिन’ की स्थापना की, जो अंततः आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बदल गया। इस संदेश के साथ संस्थापक की एक तस्वीर भी पोस्ट की गई।