नई दिल्ली, 26 जून । 18वीं लोकसभा के लिए अध्यक्ष पद का आज सदन की कार्यवाही में चयन किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कुछ अन्य सदस्यों ने कोटा से सांसद ओम बिरला का अध्यक्ष पद के लिए नाम प्रस्तावित किया, जिस पर ध्वनिमत से सदन ने मोहर लगा दी। विपक्ष की ओर से अरविंद सावंत और कुछ अन्य नेताओं ने के. सुरेश का नाम प्रस्तावित किया। हालांकि मत रखने के दौरान ओम बिरला के नाम पर विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की और ध्वनिमत से उन्हें चुन लिया गया।

प्रधानमंत्री ने किया नाम प्रस्तावित-

लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर ने अध्यक्ष पद का चुनाव कराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राजीव रंजन सिंह, जितम राम मांझी, अमित शाह, जाधव प्रतापराव, चिराग पासवान, जोयंता बासुमतारी, एचडी कुमार स्वामी, के राममोहन नायडु, डॉ. इंद्रा हंग सुब्बा, अनुप्रिया पटेल, किशन पाल, डॉ विरेन्द्र कुमार, एसपी सिंह बघेल और अनुप्रिया देवी ने ओम बिरला का नाम प्रस्तावित किया। वहीं अरविंद सावंत, आनंद भदौरिया, सुप्रिया सुले ने के. सुरेश का नाम प्रस्तावित किया। इन सदस्यों के प्रस्ताव को आगे एक-एक सदस्य ने अनुमोदन किया।

अध्यक्ष के रूप में ध्वनिमत से चयन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी एवं संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने मिलकर ओम बिरला को अध्यक्षीय आसन पर बिठाया। राहुल गांधी ने इस दौरान प्रधानमंत्री से हाथ मिलाया। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने प्रोटेम स्पीकर की भूमिका में भर्तहरि महताब और पैनल सदस्यों काे धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेताओं ने दी बधाई-

अध्यक्ष चुने जाने पर प्रधानमंत्री मोदी सहित पक्ष और विपक्ष नेताओं ने ओम बिरला को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे विनम्र, व्यवहार कुशल और मीठी मुस्कान हैं। बलराम जाखड़ के बाद दोबारा अध्यक्ष बनने वाले वे पहले हैं। उन्होंने कहा कि संसद की गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें कई बार पीड़ा सहते हुए भी कठोर निर्णय लेने पड़े हैं। कोरोना के दौरान उन्होंने सभी सांसदों का ख्याल रखा और व्यक्तिगत तौर पर उनका हालचाल जाना।

प्रधानमंत्री ने ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई पी20 को भी याद किया। उन्होंने कहा कि सांसदों को उनसे प्रेरणा लेेनी चाहिए कि बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए भी उन्होंने कैसे अपने संसदीय क्षेत्र में काम किया है। उन्हीं की अध्यक्ष में पिछली लोकसभा में नारी वंदन, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन जैसे बड़े विधेयक पारित हुए और सदन की उत्पादकता 97 प्रतिशत रही।

नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने ओम बिरला को बधाई देते हुए कहा कि विपक्ष को बोलने का अवसर मिलना चाहिए। विपक्ष को चुप कर देना लोकतंत्र के खिलाफ है। वे संसद के अंतिम मध्यस्त की भूमिका में हैं और सरकार तथा विपक्ष दोनों को उनसे उम्मीद है। विपक्ष भी जनता का ही प्रतिनिधत्व करता है। हम सहयोग करने और सदन को चलाने के पक्ष में हैं। ऐसे में विपक्ष की आवाज को भी प्रतिनिधत्व मिलना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह सदन बिना भेदभाव के आगे बढ़ेगा। निष्पक्षता और जिम्मेदारी के साथ उनसे सदन चलाने की उम्मीद है। उन्हें उम्मीद है कि वे सत्ता पक्ष पर भी अंकुश लगायेंगे। वे चहाते हैं सदन उनके इशारे पर चले और इसका उल्टा न हो।

तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि सदन विपक्ष का होता है और उसकी सकारात्मक बातों को भी सम्मान मिलना चाहिए। सदन से 150 सदस्यों को निलंबित कर देना लोकतंत्र नहीं है। पिछली लोकसभा में कई विधेयक पारित हुए, लेकिन वे केवल पेश किए गए और बिना चर्चा के पारित कर दिए गए। ऐसा नहीं होना चाहिए। द्रमुक नेता टीआरबालू ने बिरला को बधाई देते हुए कहा कि भले ही वे कमल के निशान पर जीतकर आए हैं लेकिन उन्हें कमल की ही तरह पानी में रहकर पानी से अलग रहना चाहिए। विपक्ष को भी महत्व मिलना चाहिए।

इसके अलावा भी कई सांसदों ने सदन अध्यक्ष को बधाई देने साथ अपनी बात रखी। शिवसेना बालासाहब ठाकरे से सांसद अरविंद सावंत ने चुनाव आयोग से जुड़े कानून और मणिपुर का मुद्दा उठाया। न्याय तथा संवेदनशीलता की मांग की। एनसीपी शरदपवार नेता सुप्रिया सुले ने कोविड के दौरान ओम बिरला से मिले सहयोग के लिए उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने केन्द्रीय मंत्रियों से मिले सहयोग का जिक्र करते हुए कोशिश और बातचीत से विषयों को सुलझाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सदन चलना चाहिए।

लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा कि उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहे विपक्ष को देखना चाहिए की राज्यों में जहां उनकी सरकार है क्या वे वहां ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम किसी की ओर उंगली उठाते हैं तो चार उंगलियां अपनी तरफ होती हैं। हरसिमरत कौर बादल ने क्षेत्रीय एवं छोटी पार्टियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा उठाया।

अध्यक्ष चुने जाने पर बिरला बोले, नए विजन और नूतन विचारों के साथ उच्च कोटि के मानदंड स्थापित हों-

अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने देश की 64 करोड़ जनता को मतदान और चुनाव आयोग को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जनता की अपेक्षा और आकांक्षाएं बड़ी हैं। सामूहिक प्रयास के साथ हमें सदन में नए विजन और नूतन विचारों के साथ उच्च कोटि के मानदंड स्थापित करने चाहिए। इस बार 281 नए सदस्य चुनकर आए हैं। उन्हें नियम और परिपाटी का अध्य्यन करना चाहिए। बिरला ने संविधान दिवस मनाए जाने के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस सदन को शोषित पीड़ितों के उत्थान के लिए कानून बनाने चाहिए।

अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सड़क और सदन में विरोध करने में अंतर होता है। मर्यादा के साथ विरोध करना चाहिए। भले ही हम सबकी विचारधारा अलग हो, लेकिन हमें देश को सर्वोपरि रखते हुए काम करना चाहिए। असहमति के साथ सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए। वे सरकार से भी अपेक्षा करते हैं कि सभी विचारों को शामिल करें और सबकी सुनी जानी चाहिए। वे चाहते हैं कि सभी के मत विचार आएं और सदन निर्बाध रूप से चले। गतिरोध के साथ सदन के बीच में आना सही नहीं है। मर्यादा का पालन नहीं होने पर उन्हें कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

आपातकाल की निंदा और इसके शिकार लोगों के लिए मौन-

सदन की कार्यवाही के अंत में अध्यक्ष ओम बिरला ने वक्तव्य पढ़ा और कहा कि यह सदन आपातकाल की निंदा करता है। वक्तव्य के बाद उन्होंने सदस्यों से दो मिनट का मौन रखने को कहा, जिसमें कांग्रेस और कुछ विपक्षी नेताओं के अलावा सदस्यों ने मौन रखा। बिरला के वक्तव्य पढ़ने के दौरान कांग्रेस सांसदों ने आगे आकर इसका विरोध किया और शेम-शेम के नारे लगाए।

वहीं ओम बिरला ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज 26 जून को कैबिनेट ने आपातकाल पर पूर्ववर्ती प्रभाव से मोहर लगाई थी। आपातकाल अन्याय का कालखंड था। संविधान भावना के खिलाफ था। यह सदन प्रतिबद्धता दोहराता है कि दोबारा ऐसा समय नहीं आने दिया जाएगा। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को याद करते हुए कहा कि देश को इसकी समाप्ति के बाद दूसरी आजादी मिली थी।

प्रधानमंत्री ने मंत्रिपरिषद से परिचय कराया-

अध्यक्ष के आपातकाल पर वक्तव्य से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए सदन को अपने मंत्रिपरिषद से परिचय कराया। उन्होंने एक-एक कर सभी मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों और राज्यमंत्रियों के नाम लिए जिसके साथ ही मंत्रियों ने हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया।