-कौशल मूंदड़ा-

उदयपुर, 25 नवम्बर। मतदान के प्रति जागरूकता के सराहनीय प्रयास ऐसे रंग लाए कि अब लगता है हर बूथ पर दो ईवीएम की आवश्यकता पर विचार करने का समय आ गया है।

जी हां, शनिवार को राजस्थान विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की कतार की जो तस्वीरें सामने आईं, उसके बाद तो यही विचार सामने आया है। और यह विचार सिर्फ विचारकों का नहीं है, बल्कि कतारों में खड़े रहकर लम्बा इंतजार करने वालों का भी है और इस इंतजार के चक्कर में अपने पशुधन और खेती के काम को समय पर नहीं कर पाने वाले ग्रामीणों का भी है।

उदयपुर जिले की वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के रणछोड़पुरा की कतार में परेशान हो रहे काश्तकार और पशुपालक नवलराम ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि यहां बूथ पर लम्बी कतार सामने नजर आ रही है और मतदाताओं को इंतजार करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार मतदान के लिए प्रेरित कर रही है, और जब मतदाता अपनी जिम्मेदारी निभाने पहुंचा तो संसाधन कम नजर आ रहे हैं।

रणछोड़पुरा के नवलराम

नवलराम ने कहा कि महिलाएं भी परेशान हुई हैं, खासकर गोद में शिशु के साथ आने वाली महिलाओं को आगे भी बढ़ने नहीं दिया गया। बुजुर्ग, विकलांगों को जरूर आगे ले जाया गया, लेकिन बाकी को कतार में ही खड़े रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार को हर बूथ पर ईवीएम बढ़ानी होगी। काश्तकार और पशुपालक को सुबह और शाम को अपनी फसल और पशुओं को संभालना ही पड़ता है, यदि वह शाम तक कतार में रहेगा तो उसका काम कौन संभालेगा।

सही भी है, पचास प्रतिशत मतदान जितने ही संसाधन 80 प्रतिशत तक के मतदान में कम पड़ते नजर आएंगे। यही वजह है कि कतार लगी रहती है। इन कतारों की वजह से कई जगह मतदानकर्मी दोपहर का भोजन भी नहीं कर पाए, यह पीड़ा उन्होंने भी बयां की। कई जगह मतदान का समय पूरा हो जाने के घंटे-डेढ़ घंटे बाद तक भी मतदान चला।

कई जगह कतारें देखने के बाद हर किसी ने यही कहा कि यदि सरकार को शत-प्रतिशत मतदान की ओर बढ़ना है तो संसाधनों में भी वृद्धि करनी होगी। इसके लिए बूथ नहीं बढ़ाकर हर बूथ पर महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग ईवीएम उपलब्ध कराकर भी दो वोट में समय के अंतराल को कम किया जा सकता है।