कोलकाता, 17 जनवरी । आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में युवा महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सियालदह के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत कल, 18 जनवरी को फैसला सुनाएगी। 162 दिनों का इंतजार आखिरकार शनिवार को खत्म हो जाएगा। यह घटना 9 अगस्त 2024 को घटी थी, जब अस्पताल परिसर से महिला डॉक्टर का शव बरामद हुआ था। इस मामले ने पूरे पश्चिम बंगाल में भारी आक्रोश पैदा कर दिया था।
शुरुआती जांच में कोलकाता पुलिस ने 24 घंटे के भीतर एक सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया। बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में गिरफ्तार सिविक वॉलंटियर को इस अपराध का मुख्य आरोपित बताया।
निचली अदालत में अब तक 50 लोगों की गवाही दर्ज की गई है, जिनमें मृतक डॉक्टर के पिता, जांच अधिकारी, फोरेंसिक विशेषज्ञ और मृतक के सहकर्मी शामिल हैं। महीनों तक चली जांच के बाद, यह मुकदमा 11 नवंबर 2024 को शुरू हुआ था और अब अपने अंतिम चरण में है।
इस घटना ने राज्य भर में अभूतपूर्व जनाक्रोश पैदा किया। कोलकाता और अन्य शहरों में रैलियां, मशाल जुलूस और मानव शृंखला बनाई गई। विरोध प्रदर्शनों के कारण कई सांस्कृतिक और खेल आयोजनों को रद्द करना पड़ा, जिनमें कोलकाता का हाई-प्रोफाइल फुटबॉल डर्बी भी शामिल था। अब कल आने वाले अदालती फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
फैसला सुनाएंगे जज अनिर्बाण दास
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर छात्रा के बलात्कार और हत्या के मामले में शनिवार को सियालदह अदालत का फैसला आएगा। इस बहुचर्चित मामले में आरोपित सिविक वॉलंटियर पर देशभर की नजरें टिकी हैं। इस फैसले को सुनाने वाले अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
अनिर्बाण दास को उनकी कड़ी न्याय प्रियता और सूझबूझ के लिए जाना जाता है। इससे पहले बारासात में एनडीपीएस कोर्ट के जज रहते हुए उन्होंने एक आरोपित को फांसी की सजा सुनाई थी। आरजी कर मामले में भी उनकी सूझबूझ की सराहना हो रही है। नवंबर 2024 में शुरू हुई इस मामले की सुनवाई उन्होंने इन-कैमरा रखी, जिसमें 50 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
अनिर्बाण दास ने बर्दवान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1995 में वकील के तौर पर अपना करियर शुरू किया। 1999 में वे सिविल जज (जूनियर डिवीजन) बने। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला जज, और एनडीपीएस कोर्ट के जज शामिल हैं।
उनकी कार्यशैली की सियालदह अदालत के कर्मचारी भी प्रशंसा करते हैं। वे समयनिष्ठ और कानून के गहरे जानकार माने जाते हैं। आरजी कर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उनकी भूमिका पर उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट की भी निगाह रही है।
शनिवार को आने वाले इस फैसले से न केवल पीड़िता के परिवार, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं।