राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में पारित हुआ राम मंदिर का प्रस्ताव प्रस्ताव में सभी के योगदान और बलिदान का स्मरण
नागपुर, 19 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन 15 से 17 मार्च तक नागपुर के रेशिम बाग में हुआ। इसमें प्रमुख रूप से अयोध्या के श्रीराम मंदिर पर प्रस्ताव पारित हुआ है। इस प्रस्ताव के जरिए संघ ने श्रीराम मंदिर के लिए बलिदान देने वाले राम भक्तों और मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले सभी कार्यकर्ताओं का स्मरण कर उन्हें धन्यवाद दिया है। रा. स्व. संघ स्पष्ट तौर पर कहा है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण राष्ट्र के पुनरुत्थान का प्रतीक है। मंदिर निर्माण के साथ ही अब संघ राम राज्य की कल्पना को साकार करने के लिए प्रयासरत है।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को आयोजित श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा था, “अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया है, अब देश में रामराज्य आना चाहिए।” राम मंदिर निर्माण के बाद संघ अब सुशासन और लोकहित को सुनिश्चित करने वाले रामराज्य के लिए प्रयासरत है। संघ की प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव में संघ ने मंदिर के लिए बलिदान देने वाले कारसेवकों, सरकार व प्रशासन सहित आंदोलनों में शामिल शोधकर्ताओं, पुरातत्वविदों, विचारकों, कानूनविदों, मीडिया और पूरे हिन्दू समाज के योगदान का उल्लेख किया है।
बीते 50 वर्षों से पत्रकारिता के माध्यम से संघ को समझने और समझाने वाले वरिष्ठ पत्रकार एल.टी. जोशी का इस प्रस्ताव पर कहना है कि राम मंदिर के निर्माण को भारत के पुनरुत्थान की ओर पहली सीढ़ी समझना चाहिए। राम केवल श्रद्धा का विषय नहीं हैं अपितु भारतीय जीवन दर्शन का प्राण हैं। जोशी का मानना है कि संघ ने श्रीराम मंदिर को कभी भी पत्थरों से बनी भव्य इमारत नहीं माना है। बल्कि विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय समाज पर हुए अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के सामूहिक प्रयास के प्रतीक के रूप में राम मंदिर को देखा है और उसी भावना से बड़ी-बड़ी बाधाओं को परे धकेलते हुए इस आंदोलन को आगे बढ़ाया गया। संघ का मानना है कि यह मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान का एक अखंड दीपक है जो आने वाली पीढ़ियों तक स्वाभिमान की लौ जलाए रखेगा। बतौर जोशी राष्ट्र के पुनरूत्थान के प्रतीक राम मंदिर को लेकर संघ की प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव आना अपने आप में बड़ी बात है। इस माध्यम से संघ के कदम राम राज्य की स्थापना के लिए आगे बढ़ चले हैं।
एल.टी. जोशी का मानना है कि संघ की कार्यशैली में दो विशेष बातें हैं। एक, संघ सभी के योगदान, बलिदान का सदैव स्मरण रखता है। दूसरे, राष्ट्रहित के लिए कही बातों पर अमल के लिए संघ हमेशा प्रयासरत रहता है। लोक जागरण के लिए नित नए कार्यक्रम करना संघ की विशेषता है। अब आप देखिए कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह से पहले स्वयंसेवकों- कार्यकर्ताओं ने अयोध्या से लाए गए पूजित अक्षत को घर-घर बांटा । उस दौरान संघ एवं समविचारी संगठनों के 44 लाख 98 हजार कार्यकर्ता देश के 5 लाख 98 हजार 778 गांवों तक पहुंचे थे। 19 करोड़ 38 लाख परिवारों तक अक्षत पहुंचाया गया और 22 जनवरी को देशभर में 5 लाख 60 हजार स्थानों पर कार्यक्रम हुए। इस पूरे आयोजन में स्वयंसेवक तन, मन और धन से शामिल हुए थे। इससे व्यापक जन संपर्क अभियान और कोई हो नहीं सकता। संघ अपने कार्यक्रमों के माध्यम से प्रत्येक वर्ग में पहुंचना चाहता है और इसी कारण उसका निरंतर विस्तार हो रहा है और प्रभाव बढ़ रहा है।