
कोलकाता,10 अप्रेल। पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज की ओर से शिवरानी देवी प्रेमचंद की पुस्तक”प्रेमचंद घर” में विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में फिल्म निर्देशक गुलबहार सिंह ने बताया कि “प्रेमचंद की कहानी “सवा सेर गेहूँ” पर दूरदर्शन के लिए बनी 70 मिनट की टेली फिल्म का संगीत प्रसिद्ध संगीतकार सलिल चौधरी ने दिया और इसके लिए उन्होंने एक रूपया भी पारिश्रमिक नहीं लिया।
गुलबहार सिंह ने कहा बचपन में प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात ‘पढ़ी थी। निर्देशन सीखते समय टालीगंज के टेक्निशियन स्टुडियो में सत्यजित राय को प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी ‘फिल्म की शूटिंग देखता था। प्रेमचंद की कहानी पर बनी टेलीफिल्म’ सद्गति’ की स्क्रीनिंग कलकत्ता के न्यूएम्पायर सिनेमा हाल में देखी थी। प्रेमचंद से सत्संग यहीं से शुरू हुआ। प्रेमचंद की कहानी पर बनी फिल्म ‘सवा सेर गेहूँ में’ अभिनेता ओम पुरी,श्रीला मजुमदार ने अभिनय किया था ।फिल्म के पारिश्रमिक के लिए ओम पुरी ने कोई मांग नहीं की थी। शूटिंग बंगाल के गाँव में हुयी थी। प्रेमचंद के जीवन पर पर अमृत राय की पुस्तक “कलम का सिपाही “के आधार पर गुलबहार सिंह ने दूरदर्शन के लिए चार घंटे का चार एपोसिड “प्रेमचंद एक जीवन” डाक्यूड्रामा का निर्माण किया था।इस फिल्म में प्रेमचंद को अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अभिनेता इरफान खान ने जीवंत कर दिया था। उन्होंने भी किसी पारिश्रमिक की मांग नहीं की थी।
गुलबहार सिंह ने कहा कि धारावाहिक में प्रेमचंद घर में अपनी पत्नी से कैसे बात करते थे।यह पहाड़ जैसी समस्या थी।शिवरानी देवी की पुस्तक ‘प्रेमचंद घर में ‘ने इस समस्या का समाधान कर दिया। प्रेमचंद और शिवरानी देवी के सारे संवाद ज्यों का त्यों पुस्तक से लिए गए हैं।
31मिनट लम्बे आलेख का पाठ करते हुए आलोचना के क्षेत्र में पहला कदम बढ़ा रही युवा लेखक काजल साह ने कहा कि शिवरानी देवी प्रेमचंद केवल प्रेमचंद की जीवन संगिनी ही नहीं,एक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी भी थी।शिवरानी देवी ने स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग भी लिया और कई बार जेल भी गयी थी। प्रेमचंद और शिवरानी देवी का मार्ग एक था ।इसी वजह से प्रेमचंद अपनी पत्नी शिवरानी देवी से कहते थे _” हम दोनों एक ही नाव के यात्री हैं।”शिवरानी देवी से सलाह लेकर प्रेमचंद ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था।शिवरानी देवी की पुस्तक “प्रेमचंद घर में”प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने के लिए साहित्यिक दस्तावेज है।
फिर से प्रकाशित इस दुर्लभ पुस्तक के प्रकाशक संजय भारती ने विस्तार से प्रकाशन के महत्व को बताया।
राजीव पांडेय और नरेंद्र पोद्दार ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रेमचंद लाइब्रेरी कोलकाता में आयोजित इस संगोष्ठी के अध्यक्ष केशव भट्टड़ ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि एक संगोष्ठी की सबसे बड़ी सफलता तब होती है जब अध्यक्ष के पास कहने को कुछ न बचा हो। संयुक्त संयोजक अभिषेक कोहार ने संचालन और श्रीप्रकाश जायसवाल ने आभार व्यक्त किया।