नर्मदा मंदिर में पूजा के बाद सरसंघचालक ने साधु-संतों से किया विचार विमर्श

अनूपपुर, 31 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि मजबूत भारत के लिए अनुशासित, चरित्रवान, संस्कारित समाज निर्माण की जरूरत है। इसके लिए साधु-संतों को आश्रमों से बाहर निकल कर आगे आना होगा। छत्रपति शिवाजी की तरह सख्त अनुशासन, संस्कारित जीवन और चरित्रबल के बूते विकसित, मजबूत भारत का निर्माण होगा।

डॉ. भागवत मां नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक में साधु-संतों, समाजसेवियों को संबोधित कर रहे थे। यहां रविवार को मृत्युंजय आश्रम के एकरसानंद आश्रम में संत स्वामी हरिहरानंद सरस्वती के साथ मंचासीन डॉ. भागवत ने सनातन संस्कृति, हिन्दू धर्म, मजबूत भारत के निर्माण, पर्यावरण संरक्षण पर खुल कर अपने विचार रखे।

पवित्र नगरी अमरकंटक के साधु-संतों का अभिनंदन करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेने की जरूरत है। जिनके संस्कार और चरित्र की दुश्मन भी तारीफ करते थे। इनके जैसा चरित्रवान बनने की आवश्यकता है। संतों के प्रवचन से चरित्र एवं संस्कार के माध्यम से समाज सुधार करवाने में बहुत मदद मिलेगी। हिंदू समाज के व्यक्तियों को स्वयं को संस्कारित करने की आवश्यकता है। व्यक्ति स्वयं सुधर जाए तो समाज अपने आप विकसित हो जाएगा। देश में हिंदू जागरण का अच्छा माहौल है, लेकिन युवा पीढ़ी को शिवाजी के चरित्र निर्माण की शिक्षा लेने की जरूरत है। दूसरों को उपदेश देने से पहले अपने आचरण में सुधार की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि संतों के माध्यम और उपदेश से हिन्दू संस्कृति चलती है। आश्रमों से निकलकर समाज को विकास के लिए आगे आना पड़ेगा। पर्यावरण को लेकर उन्होंने कहा कि हमें स्वयं भी पौधरोपण करना चाहिए। इससे अमरकंटक को हराभरा रखने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद ने सरसंघचालक को तीन मांगों का एक पत्र सौंपा, जिसमें पूजा स्थल कानून 1991 खत्म करने, मुस्लिम वक्फ बोर्ड खत्म करने एवं नर्मदा लोक का निर्माण अमरकंटक में कराने की बात कही गई। इसके साथ ही अमरकंटक के संत समाज द्वारा जगदीशानंद महाराज के माध्यम से भी आश्रमों की लीज बढ़ाने के विषय में एक पत्र सौंपा गया। इससे पहले डॉ. भागवत ने भैयाजी जोशी और क्षेत्र एवं प्रांत के वरिष्ठ प्रचारकों के साथ रविवार सुबह मां नर्मदा उद्गम मंदिर में पूजा कर विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की। इस दौरान मंदिर परिसर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी।

डॉ. भागवत के अमरकंटक आगमन से पूर्व ही यहां संघ की दृष्टि से विशेष तैयारियां की गई थीं। संघ के क्षेत्र, प्रांत, विभाग, जिले के चुनिंदा पदाधिकारियों को छोड़कर किसी को भी यहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। संघ के सामान्य समर्पित स्वयंसेवकों, भाजपा नेताओं को यहां आने की अनुमति नहीं दी गई थी। रविवार दोपहर में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों को डॉ. भागवत ने विविध विषयों पर संबोधित किया।

साधु-संतों ने दिए विभिन्न सुझाव-

कार्यक्रम में पधारे प्रमुख संतों महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज, मृत्युंजय आश्रम, श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास महाराज, शांति कुटी, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद महाराज, मार्कंडेय आश्रम स्वामी जगदीशानंद, स्वामी धर्मानंद महाराज, कल्याण सेवा आश्रम, स्वामी लवलीन महाराज, धारकुंडी आश्रम, स्वामी नर्मदानंद महाराज, गीता स्वाध्याय मंदिर, जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य, फलाहारी आश्रम, श्रीयंत्र मन्दिर से हरि चैतन्य पुरी, गोपाल आश्रम से हनुमानदास महाराज, अरंडी संगम आश्रम से समाज सेवी त्रिभुवेन्द्र कुमार दास, माई की बगिया से स्वामी शुद्धात्मानंद, नर्मदानंद गीता आश्रम, सोमेश्वर गिरी सोनमुडा के साथ अन्य साधु, संतगणों ने अमरकंटक, नर्मदा संरक्षण पर अपने विचार रखते हुए सुझाव दिए।