भागलपुर, 22 दिसम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने शुक्रवार को यहां कहा कि संत और संघ मिलकर देश का विकास करेंगे। संघ सिर्फ मेहनत कर सकता है जबकि संत साधना करते हैं। साधना करने वाले ही मार्गदर्शन करते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि संतों के मार्गदर्शन के आलोक में ही संघ श्रम करके देश का विकास कर रहे हैं। उन्होंने यहां के महर्षि मेही आश्रम कुप्पाघाट में अपने संबोधन में कहा कि धर्म का तत्व गुप्त होता है, इसलिए सामान्य लोग श्रेष्ठ जन जैसा चलते हैं। श्रेष्ठ जन वही हैं जो धर्म के तत्व की नित्य अनुभूति करते हैं क्योंकि धर्म सत्य पर आधारित है। अर्थात जो सत्य के निरंतर संपर्क में रहते हैं, वही संत हैं, इसलिए संत प्रमाण होते हैं कि जीवन कैसे जीना चाहिए ?
उन्होंने इस अवसर पर महर्षि मेही के जीवन पर आधारित एक फिल्म का टीजर भी जारी किया। उन्होंने इसके निर्माता को शुभकामना दी और कहा कि दुनिया को जीवन की शिक्षा देना सभी भारतवासियों का कर्तव्य है और यही अपना धर्म है। पूज्य महर्षि जी ने जैसा जीवन जिया है, वह हम सभी के लिए अनुकरणीय है। पूज्य महर्षि मेही के जीवन का कुछेक अंश भी हम अपने जीवन में ग्रहण कर लें तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि युवाओं को कुछ इस तरह की फिल्म देखनी चाहिए, वहीं सनातन धर्म पर भी उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी धर्म में सर्वोपरि है।
भागलपुर के महर्षि मेही आश्रम में सरसंघचालक का सालभर के अंदर दूसरी बार आगमन हुआ है। उनके आगमन पर कुप्पाघाट के महामंत्री और सभी साधु-संतों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने कुप्पाघाट में महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के निवास स्थल का भ्रमण किया। वे यहां के वर्तमान आचार्य हरिनंदन बाबा के निवास स्थल भी पहुंचे, जहां उन्होंने हरिनंदन बाबा का कुशलक्षेम जाना। उन्होंने महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के समाधि स्थल पहुंचकर पुष्पांजलि भी अर्पित की।