गोरखपुर 16 नवंबर। सत्तर के दशक में अपराधियों की शरण स्थली और गैंगवार के लिये कुख्यात हो रहे गोरखपुर में सुब्रत रॉय ‘सहाराश्री’ ने उद्योग का बीज रोपा था,वह आज सहारा इंडिया परिवार के रूप में वटवृक्ष का आकार ले चुका है।
रॉय परलोक सिधार चुके हैं मगर गोरखपुर के लोग उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकेंगे। उन्होने गोरखपुर को एक नयी व्यवसायिक पहचान दी। श्री रॉय ने गोरखपुर में राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज से मैंकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। उन्होने गोरखपुर की सड़कों पर नमकीन बेचा, लमब्रेटा स्कूटर से छोटे-छोटे बचतकर्ताओं तक पहुंचे मगर उन्होंने कभी अपने सपनों को छोटा नहीं किया।
‘सहाराश्री’ ने वर्ष 1978 में गोरखपुर स्थित रेती चौराहे के पास एक छोटी सी चिटफंड कम्पनी ..एलाइट. को अपने अधिकार में ले लिया फिर एक मेज, दो कुर्सी और दो हजार रूपये से उन्होंने छोटे-छोटे निवेश पर आधारित खाते खोले और उनके निवेश को ब्याज समेत वापस किया जिससे उन पर छोटे निवेशकों का भरोसा बढता चला गया। रॉय ने सहारा एयर लाइन्स, रियल स्टेट और पत्रकारिता जगत में नये कीर्तिमान स्थापित किये और अपने राजनैतिक अधिकार बढाये तथा भारत के दस प्रमुख व्यापारियों में शामिल भी हुए।
उन्होंने जनहित के लिए सहारा हेल्थ नेट वर्क शुरू किया। भारतीय क्रिकेट टीम को प्रायोजित किया जिससे खेल भावना विकसित हो सकें। गोरखपुर में हर मोहल्ले में दो-चार लोग सहारा से जुडे हुए थे, कोई खाताधारक के रूप में तो कोई प्रमोटर और किसी की रोजी रोटी उनसे जुडी हुयी थी मगर सहारा पर जब शिंकजा कसा जाने लगा और सेबी ने 24 हजार करोड रूपये अपने अधिकार में ले लिया उसी दिन सहारा की समस्या बढने लगी और फिर सहारा श्री को जेल तक जाना पडा। रॉय इन दिनों पैरोल पर थे।