मॉस्को, 01 दिसंबर। रूस ने अतरराष्ट्रीय एलजीबीटी आंदोलन पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि यह एक चरमपंथी समूह है जिससे इस पर लंबी कार्रवाई आवश्यक हो जाती है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा प्रचारित रूढ़िवादी रूझान, जिसे प्रायः पश्चिमी उदारवादी मूल्यों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई के रूप में चित्रित किया जाता है, यह यूक्रेन में आक्रमण के बाद और तेज हो गया है।
मीडिया के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कल मॉस्को में फैसला सुनाया, लेकिन पीठ ने यह नहीं बताया कि इस फैसले से कुछ व्यक्ति या संगठन प्रभावित होंगे या नहीं।
न्यायाधीश ओलेग नेफेदोव ने फैसला सुनाया कि अंतरराष्ट्रीय एलजीबीटी सार्वजनिक आंदोलन और उसके उपखंड चरमपंथी हैं और रूस में इसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया।
सूत्रों के अनुसार, “सुनवाई बंद कमरे में हुई और इसमें कोई बचाव पक्ष मौजूद नहीं था। अदालत के बाहर 10 से भी कम लोग जमा हुए थे। उम्मीद थी कि समर्थन दिखाने के लिए ज्यादा लोग आएंगे, लेकिन बहुत ही कम लोग आए। इससे पता चलता है कि एलजीबीटी लोगों से संबंधित किसी भी चीज़ के बारे में बात करने से लोग कितना डरे हुए हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि आदेश को तुरंत लागू किया जाना चाहिए हालांकि कुछ एनजीओ ने कहा कि इसे लागू करने में देरी होगी।
एलजीबीटीक्यू अधिकारों के लिए काम करने वाले एनजीओ स्फीयर फाउंडेशन के संचार प्रमुख नोएल शाइदा ने कहा कि इससे एक बड़ी घबराहट उत्पन्न हो रही है, क्योंकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि इस प्रतिबंध के अंतर्गत किस पर मुकदमा चलाया जाएगा।
अगर इसे व्यक्तियों पर लागू किया जाता है, तो चरमपंथी का मतलब है कि रूस में रहने वाले समलैंगिक, ट्रांसजेंडर या क्वीयर लोगों को वर्षों की जेल का सामना करना पड़ सकता है। यह रूस में इन समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने वाले किसी भी समूह के आपराधिक अभियोजन का रास्ता भी खोलता है।