कोलकाता, 27 जनवरी । कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी संजय रॉय को मौत की सजा देने की मांग करने वाली सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बार रशीदी की बेंच ने सोमवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुबह 10:30 बजे शुरू हुई यह सुनवाई दोपहर 12:45 बजे समाप्त हुई। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अपनी दलील में कहा कि चूंकि इस मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने की थी और वह पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रही है, इसलिए याचिका दाखिल करने का अधिकार सीबीआई को है, न कि राज्य सरकार को।
इसके विपरीत, राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 377 और 378 के तहत, राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी सजा को अपर्याप्त मानते हुए उसके खिलाफ अपील कर सकती है।
उल्लेखानीय है कि नौ अगस्त 2024 को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रांगण में स्थित एक सेमिनार हॉल से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद हुआ। मामले की प्रारंभिक जांच कोलकाता पुलिस ने की और मुख्य आरोपित संजय रॉय को गिरफ्तार किया। बाद में, हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
पिछले हफ्ते, कोलकाता की एक विशेष अदालत ने दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन इस फैसले से असंतुष्ट होकर सीबीआई और राज्य सरकार ने हाईकोर्ट का रुख किया और दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की।
डिवीजन बेंच ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह स्पष्ट नहीं है कि फैसला कब आएगा, जिससे दोनों पक्षों और जनता को इस बहुचर्चित मामले में अगले कदम का इंतजार है।
पीड़िता के परिवार ने संजय रॉय को फांसी देने का विरोध किया
आरजी कर दुष्कर्म और हत्या मामले में पीड़िता के परिवार ने मामले में दोषी करार दिए गए संजय रॉय के लिए फांसी की सजा का विरोध किया है। सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान परिवार ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में संजय के लिए अधिकतम सजा की मांग नहीं करते। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर संजय को फांसी की सजा देने की मांग की है।
न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने यह तय करने के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है कि राज्य सरकार की याचिका सुनवाई के योग्य है या नहीं। इससे पहले निचली अदालत ने संजय रॉय को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। राज्य सरकार और सीबीआई दोनों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में मौत की सजा की मांग की है। हालांकि पीड़िता के परिवार के वकील शमीम अहमद ने कहा कि हम इस मामले में संजय के लिए अधिकतम सजा नहीं चाहते। लेकिन राज्य और सीबीआई द्वारा दायर याचिकाओं पर हमारा कोई विरोध नहीं है। यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह इन याचिकाओं को स्वीकार करती है या नहीं।
पुलिस व सीबीआई न्याय देने में रहे विफल
कोर्ट के बाहर पीड़िता के पिता ने कहा कि वे राज्य पुलिस और सीबीआई दोनों से निराश हैं, क्योंकि दोनों न्याय दिलाने में विफल रहे। हम चाहते हैं कि इस घिनौने अपराध में शामिल सभी लोगों को सजा मिले। यह सिर्फ संजय की बात नहीं है। इससे पहले सियालदह कोर्ट ने संजय रॉय को फांसी देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह मामला दुर्लभतम में दुर्लभ की श्रेणी में नहीं