कोलकाता, 27 नवंबर । आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकाता की जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सबूतों से छेड़छाड़ के पहलू पर ध्यान केंद्रित करते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाई गई खामियों की गहन जांच शुरू कर दी है।
सीबीआई ने उस दिन की अन्य पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जुटाई हैं, जिस दिन पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम किया गया था। जांच अधिकारी इन सभी रिपोर्टों को फोरेंसिक विशेषज्ञों के पास भेज चुके हैं, ताकि पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य रिपोर्टों के बीच गुणात्मक अंतर का पता लगाया जा सके।
एक अधिकारी के अनुसार, जांच अधिकारियों ने यह समझने का प्रयास भी शुरू कर दिया है कि अस्पताल प्रशासन ने सामान्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम क्यों करवाया।
अन्य गंभीर खामियों में शामिल हैं :
पोस्टमार्टम प्रक्रिया को अत्यंत कम समय में पूरा करना।
वीडियो रिकॉर्डिंग का निम्न गुणवत्ता में और कम रोशनी में किया जाना।
अपराध और सबूतों से छेड़छाड़
सीबीआई इस मामले को दो पहलुओं में देख रही है। पहला, “दुष्कर्म और हत्या का अपराध” और दूसरा, “सबूतों से छेड़छाड़ और उन्हें बदलने का प्रयास।”
दुष्कर्म और हत्या के अपराध में जैविक सबूतों का महत्व है, जबकि सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य अहम होंगे।
मुख्य आरोपित और सबूतों से छेड़छाड़ का मामला
सूत्रों के अनुसार, जैविक साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट में सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को दुष्कर्म और हत्या का मुख्य आरोपित बताया है।
वहीं, सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में दो मुख्य आरोपित हैं :
1. आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व और विवादास्पद प्रिंसिपल संदीप घोष।
2. टाला पुलिस स्टेशन के पूर्व थानाध्यक्ष अभिजीत मंडल।
सीबीआई अब इन दोनों आरोपितों के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के माध्यम से सबूत पेश करने की तैयारी कर रही है।